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डॉक्टर्स डे विशेष:जानिए अपने डॉक्टर के अनसुने किस्से,मिलिए प्रयागराज के चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर वैभव कृष्णा से

गरिमा

हमें अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए अथक परिश्रम और बुलंद हौसले की जरूरत होती है।अटूट प्रयासों के बाद मिली सफलता हमें पूरी जिंदगी आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है…

प्रयागराज,नवसत्ता:डॉक्टर्स डे विशेष की इस खास पेशकश में आपको मिलवाते हैं प्रयागराज के चेस्ट फिजिशियन डॉक्टर वैभव कृष्णा से।वह डॉक्टर ही क्यों बने,यह पूछे जाने पर डॉक्टर वैभव कहते हैं,पूरे परिवार में दूर दूर तक कोई डॉक्टर नहीं था।माता पिता की इच्छा थी कि मैं मेडिकल प्रोफेशनल बनूं,और ईश्वर ने सुन ली। डॉक्टर  वैभव ने वर्ष 2011 में मणिपाल कॉलेज से एमबीबीएस करने के बाद दिल्ली में 1-2 वर्ष काम किया फिर 2017 में श्रीमती बीके शाह मेडिकल इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर वडोदरा से पलमोनरी मेडिसिन में पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया और वर्तमान में प्रयागराज में खुद की क्लीनिक सफलतापूर्वक चला रहे हैं।
मेडिकल कालेज में पढ़ाई के दौरान कुछ यादगार लम्हों को शेयर करते हुए डॉक्टर कहते हैं,जब मैं कॉलेज में था तो हमारी रैगिंग रात के 2:00 बजे शुरू होती थी और 2:00 बजे से हम अलर्ट हो जाते थे कि अब रैगिंग होगी। इसके अतिरिक्त एक बार हम लोगों ने होली में काफी हुड़दंग किया था यहां तक कि कॉलेज हॉस्टल के पंखे तक निकाल लिए थे फिर बाद में हम सब की क्लास लगाई गई।
डॉ. वैभव ने बताया कि मेडिकल की पढ़ाई करते समय मैंने काफी चुनौतियों का सामना किया है कभी कभी तो ऐसा लगता था कि मैंने मेडिकल का कैरियर क्यों चुना फिर भी मैंने कभी निराशा को खुद पर हावी नहीं होने दिया।कठिन परिश्रम के साथ मैंने सभी चुनौतियों का सामना किया और सफलता हासिल की।
डॉ. वैभव ने कहा कि सफलता कभी भी बिना परिश्रम और हौसले के प्राप्त नहीं की जा सकती है इसलिए हमें अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए अथक परिश्रम और बुलंद हौसले की जरूरत होती है।अटूट प्रयासों के बाद मिली सफलता हमें पूरी जिंदगी आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।

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