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रूस-यूक्रेन युद्घ का आपकी जेब पर भी पड़ेगा गहरा असर !

सोने-चांदी से लेकर कच्चे तेल के दामों में होगी बढ़ोत्तरी

नई दिल्ली,नवसत्ता: रूस और यूक्रेन के युद्ध से वैश्विक बाजार के साथ ही आपकी जेब पर भी असर पडऩे वाला है. दरअसल, रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई से सोने, चांदी से लेकर कच्चे तेल में भारी बढ़ोतरी देखी गई है.

सोने-चांदी की कीमतों में उछाल

बताते चलें कि मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में आज सोने की कीमत साल 2022 में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. सोने की कीमत में इस अनिश्चित्ता की स्थिति के बीच 2.15 फीसदी की तेजी देखी गई है. सोने की कीमतें 1400 रुपये प्रति 10 ग्राम के करीब बनी हुई हैं. वहीं, चांदी की कीमतों में करीब 2 फीसदी का उछाल देखा गया है. चांदी कीमतें मौजूदा समय में 24.86 डॉलर प्रति औंस पर ट्रेड कर रही है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने-चांदी की कीमतों का घरेलू बाजार में दाम पर सीधा असर होता है.

कच्चे तेल में तेजी से पेट्रोल-डीजल पर होगा असर

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों पर भी बड़ा असर पड़ा है. गुरुवार को कारोबार के दौरान ब्रेंट क्रूड की कीमत 4.39 फीसदी चढ़कर 101.09 डॉलर प्रति बैरल हो गई. वहीं डब्ल्यूटीआई क्रूड का भाव 4.33 फीसदी बढ़कर 96.09 डॉलर प्रति बैरल हो गया. इससे भारत में भी पेट्रोल और डीजल में कीमतें में भारी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. भारत में भी इससे जल्द पेट्रोल-डीजल खरीदना महंगा हो सकता है.

आपको बता दें कि क्रूड महंगा होने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर सीधा असर होता है. भारत क्रूड का इंपोर्ट करता हैं, उनका इंपोर्ट बिल बढ़ेगा, जिससे बैलेंसशीट बिगड़ेगी. इन देशों का चालू खाता और राजकोषीय घाटा बढ़ेगा. इन देशों की करंसी कमजोर होंगी. इससे इन देश में महंगाई बढऩे का खतरा भी बढ़ेगा. भारत सबसे बड़े क्रूड खरीदारों में हैं. ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था पर असर हो सकता है. अगर क्रूड का भाव 100 डॉलर के पार बना रहता है तो पेट्रोल और डीजल भी महंगे होने के आसार हैं. इससे महंगाई बढ़ेगी.

उर्वरक की कीमत बढ़ेगी

देश में बड़ी मात्रा में जरूरी उर्वरकों और रसायन का आयात किया जाता है. रुपये की कमजोरी से यह भी महंगा होगा. आयात करने वालों को यह अधिक दाम में कम मिलेगा. इससे इस क्षेत्र को सीधा नुकसान होगा. वहीं रुपया कमजोर हो तो कैपिटल गुड्स के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र को भी नुकसान होगा, क्योंकि समहंगे इलेक्ट्रॉनिक गु्ड्स आयात किए जा सकेंगे. रुपये की कमजोरी का नकारात्मक असर जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर पर दिखाई देगा. इससे यह महंगा होगा और आयात पर भी इसका असर आएगा.

रक्षा क्षेत्र पर पड़ेगा सीधा असर

आपको बता दें कि 49 फीसदी हिस्सेदारी रूस की भारत के रक्षा आयात में है. 23 फीसदी भारत की हिस्सेदारी रूस के रक्षा आयात में है. वहीं रूस की 20 फीसदी हिस्सेदारी वैश्विक रक्षा निर्यात में है. 9.5 फीसदी भारत की हिस्सेदारी कुल वैश्विक रक्षा आयात में है. जिससे रक्षा के क्षेत्र में इसका सीधा असर पड़ सकता है.

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