नई दिल्ली,नवसत्ता : महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने स्वतंत्रता दिवस पर बूचड़खानों और मांस की दुकानों को बंद करने के स्थानीय निकायों के आदेशों पर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका मानना है कि यह प्रतिबंध लगाना गलत है और इससे समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों को परेशानी हो सकती है। पवार ने तर्क दिया कि महाराष्ट्र में मांसाहारी और शाकाहारी, दोनों तरह के भोजन करने वाले लोग रहते हैं, और इस तरह के आदेश राष्ट्रीय पर्व पर नहीं दिए जाने चाहिए।
विरोध की मुख्य वजहें
अजित पवार के विरोध का मुख्य कारण यह है कि वे इन प्रतिबंधों को धार्मिक भावनाओं से जोड़ते हैं, जबकि स्वतंत्रता दिवस एक राष्ट्रीय पर्व है। उनका कहना है कि इस तरह के प्रतिबंध आमतौर पर धार्मिक अवसरों जैसे महावीर जयंती, आषाढ़ी एकादशी या महाशिवरात्रि पर लगाए जाते हैं। इन दिनों में लोग अपनी धार्मिक भावनाओं के कारण एक दिन के लिए इस तरह के प्रतिबंधों को स्वीकार कर लेते हैं। लेकिन, जब बात स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय उत्सवों की हो, तो ऐसे आदेश देना उचित नहीं है, खासकर तब जब बड़े शहरों में विभिन्न धर्मों और जातियों के लोग एक साथ रहते हैं।
कहां-कहां जारी हुए थे आदेश?
यह मुद्दा तब सुर्खियों में आया जब छत्रपति संभाजीनगर महानगरपालिका ने 15 अगस्त (गोकुल अष्टमी) और 20 अगस्त (पर्युषण पर्व) को बूचड़खानों और मांस की दुकानों को बंद करने का आदेश दिया। इसके अलावा, कल्याण डोंबिवली महानगरपालिका ने भी स्वतंत्रता दिवस पर मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया था, जिस पर पहले भी विवाद हो चुका है। पवार का मानना है कि ऐसे फैसले धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ हैं और इनसे अनावश्यक विवाद पैदा हो सकते हैं।