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PM मोदी का BRICS में ग्लोबल साउथ के लिए विजन: ‘मोदी-मोदी’ की गूंज के बीच भारत की मजबूत आवाज

नई दिल्ली,नवसत्ता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान ने 17वें BRICS शिखर सम्मेलन में ‘मोदी-मोदी’ की गूंज भर दी, क्योंकि उन्होंने सदस्य देशों से वैश्विक सहयोग और बहुध्रुवीय विश्व में अहम भूमिका निभाने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि BRICS देशों को ‘ग्लोबल साउथ’ (आर्थिक रूप से कम विकसित देश) की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए एक मिसाल कायम करनी होगी। उनका यह संबोधन BRICS की बढ़ती ताकत और भारत की कूटनीतिक पकड़ को दर्शाता है।

BRICS की विविधता और बहुध्रुवीयता: पीएम मोदी की ‘खरी-खरी’

‘बहुपक्षवाद, आर्थिक-वित्तीय मामलों और कृत्रिम मेधा को सुदृढ़ करने’ पर आयोजित सत्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि BRICS समूह की सबसे बड़ी ताकत इसकी विविधता और बहुध्रुवीयता के प्रति साझा प्रतिबद्धता में निहित है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हमें विचार करना होगा कि आने वाले समय में BRICS किस प्रकार एक बहुध्रुवीय विश्व के लिए एक मार्गदर्शक शक्ति बन सकता है।”

प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि वैश्विक मंच पर गंभीरता से लिए जाने के लिए BRICS को पहले अपने आंतरिक ढांचे और प्रणालियों को सुदृढ़ करना होगा। उन्होंने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, “सबसे पहले, हमारे अपने तंत्रों को बेहतर बनाने पर जोर होना चाहिए, ताकि जब हम बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार की बात करें तो हमारी विश्वसनीयता भी मजबूत हो।”

आर्थिक सहयोग और NDB: विश्वसनीयता पर जोर

पीएम मोदी ने BRICS के भीतर बढ़ते आर्थिक सहयोग को रेखांकित किया और न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) के माध्यम से परियोजनाओं को मंजूरी देते समय मांग-आधारित निर्णय प्रक्रिया, दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता और एक स्वस्थ ‘क्रेडिट रेटिंग’ बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही। यह NDB की मजबूती और BRICS देशों के बीच आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

‘ग्लोबल साउथ’ के लिए नवाचार और सहयोग का आह्वान

‘ग्लोबल साउथ’ की अपेक्षाओं को पूरा करने की आवश्यकता पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने BRICS देशों से कृषि और विज्ञान में नवोन्मेषों को साझा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “‘ग्लोबल साउथ को हमसे अपेक्षाएं हैं। उन्हें पूरा करने के लिए हमें मिसाल कायम करनी होगी।” उन्होंने भारत में स्थापित BRICS कृषि अनुसंधान मंच को एक ऐसा मॉडल बताया, जिसके माध्यम से कृषि जैव प्रौद्योगिकी और जलवायु अनुकूलन के क्षेत्र में श्रेष्ठ पद्धतियों का आदान-प्रदान किया जा सकता है।

इसके साथ ही, उन्होंने BRICS विज्ञान एवं अनुसंधान भंडार बनाने का भी प्रस्ताव दिया, जिससे सहयोग के लाभ अन्य विकासशील देशों तक भी पहुंचाए जा सकें। यह प्रस्ताव विकासशील देशों के लिए ज्ञान और प्रौद्योगिकी के खुले आदान-प्रदान के भारत के विजन को दर्शाता है।

AI और महत्वपूर्ण खनिजों पर PM का दृष्टिकोण

वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के संदर्भ में, प्रधानमंत्री मोदी ने महत्वपूर्ण खनिजों और प्रौद्योगिकियों को लेकर सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने स्पष्ट किया, “हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी देश इन संसाधनों का उपयोग केवल अपने स्वार्थ के लिए या हथियार के रूप में न करे।” यह भू-राजनीतिक परिदृश्य में संसाधनों के रणनीतिक महत्व को रेखांकित करता है।

कृत्रिम मेधा (AI) को लेकर, प्रधानमंत्री ने इसके संचालन के लिए ऐसे सामूहिक प्रयासों की वकालत की, जो मानवीय मूल्यों पर आधारित हों। उन्होंने भारत के अनुभवों को साझा करते हुए कहा, “‘सभी के लिए एआई’ के मंत्र पर कार्य करते हुए भारत कृषि, स्वास्थ्य, शासन और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में एआई का सक्रिय और व्यापक उपयोग कर रहा है।” उन्होंने AI संचालन से जुड़ी चिंताओं के समाधान और नवोन्मेष को प्रोत्साहन, दोनों को समान प्राथमिकता देने की बात कही।


BRICS का बढ़ता दायरा: BRICS, जो मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से मिलकर बना था, का 2024 में विस्तार किया गया, जिसमें मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल किया गया। 2025 में इंडोनेशिया भी इस समूह में शामिल हो गया, जिससे इसका वैश्विक प्रभाव और बढ़ गया है। 17वें शिखर सम्मेलन में इन सभी सदस्य देशों, भागीदारों और विशेष आमंत्रित देशों ने भाग लिया, जो वैश्विक मंच पर BRICS की बढ़ती प्रासंगिकता को दर्शाता है।

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