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नई दिल्ली,नवसत्ता : उत्तर दिल्ली के वजीराबाद क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक झड़ोदा तालाब अब कचरे का ढेर बनता जा रहा है। कभी जलीय जीव-जंतुओं और वनस्पतियों से भरपूर इस वेटलैंड को अब धीरे-धीरे मलबे और कूड़े से भर दिया गया है। इस गंभीर पर्यावरणीय संकट पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार की विभिन्न एजेंसियों को नोटिस जारी किया है।
NGT ने जताई चिंता, सभी संबंधित एजेंसियों से जवाब तलब
NGT अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और एग्जीक्यूटिव मेंबर डॉ. ए. सेंथिल वेल की बेंच ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC), दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), उत्तर दिल्ली के जिलाधिकारी और MCD कमिश्नर से इस मामले पर विस्तृत जवाब मांगा है।
भलस्वा लैंडफिल का कूड़ा तालाब में डाला गया!
अधिकरण ने 2023 में प्रकाशित एक अख़बार की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि वजीराबाद और तिमारपुर के कुछ वेटलैंड इलाकों को भलस्वा लैंडफिल से निकाले गए कूड़े से भरने की बात सामने आई थी। उसी रिपोर्ट में यह भी दर्ज था कि झड़ोदा तालाब का एक हिस्सा पहले ही मलबे में दब चुका था।
बड़ी संख्या में खत्म हुए जलजीव और पक्षी
स्थानीय लोगों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने बताया कि झड़ोदा वेटलैंड में कभी रोहू, कतला, मृगल जैसी मछलियां और कई प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां नजर आती थीं, लेकिन अब यह तालाब जीवनहीन हो चुका है। कूड़े और प्रदूषण ने जैव विविधता को पूरी तरह तबाह कर दिया है।
दिल्ली में अब तक अधिसूचित नहीं हुआ कोई वेटलैंड
NGT ने इस बात पर भी चिंता जताई कि वेटलैंड (संरक्षण एवं प्रबंधन) नियम, 2017 को 2020 में लागू किए जाने के बावजूद दिल्ली सरकार ने आज तक किसी भी वेटलैंड को अधिसूचित नहीं किया है। दिल्ली वेटलैंड अथॉरिटी के रिकॉर्ड में केवल यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क क्षेत्र के भीतर दो वेटलैंड सूचीबद्ध हैं।
निष्कर्ष:
यह मामला न सिर्फ पर्यावरणीय लापरवाही का उदाहरण है, बल्कि दिल्ली की वेटलैंड नीति की विफलता को भी उजागर करता है। NGT की इस सख्ती से उम्मीद है कि दिल्ली के अन्य वेटलैंड्स के संरक्षण की दिशा में भी ठोस कदम उठाए जाएंगे।