नई दिल्ली,नवसत्ता : बिहार में कथित वोटर लिस्ट में धांधली और विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर INDIA गठबंधन का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है। मंगलवार को संसद के बाहर विपक्षी नेताओं ने जोरदार हंगामा किया। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी समेत कई विपक्षी सांसदों ने ‘मिंता देवी’ की तस्वीर और ‘124 नॉट आउट’ लिखी हुई टी-शर्ट पहनकर अपना विरोध दर्ज कराया। विपक्षी नेताओं ने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए ‘SIR वापस लो’ के नारे लगाए। यह प्रदर्शन चुनाव आयोग तक मार्च के एक दिन बाद हुआ, जिसमें कई विपक्षी नेताओं को हिरासत में भी लिया गया था।
‘मिंता देवी’ का मामला: वोटर लिस्ट में ‘धांधली’ के आरोप
विपक्ष ने आरोप लगाया है कि बिहार में एसआईआर के बाद बड़े पैमाने पर वोटर लिस्ट में गड़बड़ी सामने आ रही है। कांग्रेस ने दावा किया कि चुनाव आयोग ने दरौंदा विधानसभा क्षेत्र में एक महिला, मिंता देवी, की उम्र 124 साल बताई है और उन्हें पहली बार वोटर के रूप में पंजीकृत किया गया है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह मामला मतदाता सूची में हेराफेरी का एक स्पष्ट उदाहरण है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे ‘वन मैन-वन वोट’ के सिद्धांत का उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा, “हम संविधान की रक्षा कर रहे हैं, जो ‘वन मैन-वन वोट’ की नींव है। चुनाव आयोग को इसे लागू करना चाहिए, लेकिन उन्होंने अपना काम नहीं किया। मिंता देवी जैसे कई मामले हैं, यह तो अभी शुरुआत है।”
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने भी चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए कहा, “राजीव कुमार और ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में चुनाव आयोग भाजपा का एक विभाग बन गया है। वे पूरी तरह से विफल रहे हैं। हम इस विषय पर चर्चा चाहते हैं क्योंकि बिहार की मसौदा मतदाता सूची नकली नामों से भरी है।”
संसद से सड़क तक विरोध
यह विरोध प्रदर्शन तब हुआ जब एसआईआर मुद्दे पर संसद की कार्यवाही लगातार बाधित हो रही है। प्रदर्शन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ’ब्रायन, द्रमुक के टीआर बालू और राकांपा (सपा) की सुप्रिया सुले सहित कई वरिष्ठ विपक्षी नेता शामिल थे।
विपक्ष का कहना है कि वे इस ‘वोट चोरी’ के खिलाफ लड़ते रहेंगे और झुकेंगे नहीं। बीते दिन, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी समेत कई INDIA गठबंधन के सांसदों को वोटर लिस्ट में धोखाधड़ी के मुद्दे पर मार्च निकालने के दौरान हिरासत में लिया गया था, जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया था। विपक्ष ने इस पूरे मामले में चुनाव आयोग की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं और सरकार से इस मुद्दे पर जवाब मांगा है।