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चुनाव से ठीक पहले लालू परिवार को बड़ा झटका: IRCTC घोटाले में आरोप तय

लैंड फॉर जॉब मामले की सुनवाई टली

संवाददाता

नई दिल्ली, नवसत्ता:  बिहार विधानसभा चुनाव की घड़ी जैसे-जैसे करीब आ रही है, वैसे-वैसे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार को न्यायिक मोर्चे पर करारा झटका लगा है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आज आईआरसीटीसी (इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन) घोटाले से जुड़े मामले में लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव सहित 14 आरोपियों पर आरोप तय कर दिए हैं। वहीं, ‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाले की सुनवाई 10 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है।

यह फैसला बिहार चुनाव की तारीखों के ऐलान के ठीक बाद आया है, जो विपक्षी आरजेडी के लिए राजनीतिक रूप से संवेदनशील साबित हो सकता है। लालू परिवार के वकीलों ने कोर्ट में सभी आरोपों से इनकार किया है और मुकदमे का सामना करने की बात कही है।
आईआरसीटीसी घोटाले में क्या है मामला?
यह मामला लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान (2004-2009) की अवधि से जुड़ा है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अनुसार, लालू ने आईआरसीटीसी के दो प्रमुख होटलों—दिल्ली स्थित आईआरसीटीसी राजधानी और आईआरसीटीसी होटल—के रखरखाव और सुविधाओं का ठेका एक निजी फर्म को अनियमित तरीके से दिलवाया था। इस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का आरोप है।कोर्ट ने आज लालू, राबड़ी और तेजस्वी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान जज ने लालू से पूछा, “क्या आप अपना अपराध स्वीकार करते हैं?” इस पर लालू ने साफ इनकार कर दिया। राबड़ी देवी ने तो यहां तक कहा कि “यह पूरा केस ही गलत और राजनीतिक साजिश है।” तेजस्वी ने भी सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वे कानूनी प्रक्रिया का पालन करेंगे।
अपराध भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत तय किए गए हैं। इसके अलावा, सिर्फ लालू प्रसाद पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) की धारा 13(2) और 13(1)(डी) के तहत अतिरिक्त आरोप लगाए गए हैं। सीबीआई का दावा है कि इस घोटाले से सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ, जबकि ठेके के बदले लालू परिवार को व्यक्तिगत लाभ पहुंचा।कुल 14 आरोपी इस मामले में नामजद हैं, जिनमें लालू परिवार के अलावा कुछ निजी फर्मों के अधिकारी और अन्य लोग शामिल हैं। सभी पर आरोप तय होने के बाद अब मुकदमे की अगली प्रक्रिया शुरू होगी, जिसमें गवाहों के बयान और सबूत पेश किए जाएंगे।
लैंड फॉर जॉब घोटाले की सुनवाई क्यों टली?
दूसरे मामले ‘लैंड फॉर जॉब’ में भी लालू परिवार की मुश्किलें बढ़ने वाली थीं, लेकिन कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी। सीबीआई का आरोप है कि रेल मंत्री रहते लालू ने बिहार के कई लोगों को ग्रुप डी की नौकरियां दिलवाने के बदले उनकी जमीनें परिवार या संबंधित कंपनियों के नाम ट्रांसफर करवा लीं। ये जमीनें मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर जैसे स्थानों पर स्थित बताई जा रही हैं।आज की सुनवाई में तकनीकी कारणों से मामला टल गया और अगली तारीख 10 नवंबर तय की गई है। इस फैसले पर 10 नवंबर को आरोप तय होने की संभावना है। लालू परिवार के वकील ने कोर्ट से कहा कि सीबीआई के पास ठोस सबूत नहीं हैं और यह मामला भी राजनीति से प्रेरित है।
राजनीतिक निहितार्थ
बिहार चुनाव में आरजेडी महागठबंधन का प्रमुख हिस्सा है, और यह फैसला लालू परिवार की छवि पर असर डाल सकता है। तेजस्वी यादव, जो आरजेडी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं, चुनाव प्रचार में सक्रिय हैं। विपक्षी दलों ने इसे ‘राजनीतिक साजिश’ करार दिया है, जबकि सत्ताधारी एनडीए ने इसे ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ न्याय’ बताया है।आरजेडी प्रवक्ता ने कहा, “यह फैसला चुनावी हथकंडा है, लेकिन जनता सच्चाई जानती है।” वहीं, भाजपा ने टिप्पणी की, “कानून सबके लिए बराबर है।”यह मामला लालू प्रसाद के लंबे राजनीतिक सफर में एक और अध्याय जोड़ता है, जहां वे पहले भी चारा घोटाले जैसे कई मामलों का सामना कर चुके हैं। कोर्ट की आगे की कार्यवाही पर सबकी नजरें टिकी हैं।

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