संवाददाता
अयोध्या,नवसत्ता : रामनगरी अयोध्या, जहां हर कोना भगवान राम की लीला से जुड़ा हो, वहां आज एक ऐसी खबर ने श्रद्धालुओं के दिलों में सनसनी फैला दी है। प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर के प्रसाद—बेसन के लड्डू, पेड़ा और देसी घी—में जमकर मिलावट पाई गई है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSSAI) की जांच में तीन नमूनों में से दो फेल हो गए। यह खुलासा न सिर्फ भक्तों की आस्था को ठेस पहुंचा रहा है, बल्कि स्वास्थ्य जोखिमों की घंटी भी बजा रहा है। मंदिर प्रशासन की पूर्व चेतावनियों के बावजूद विक्रेताओं का यह लापरवाही भरा रवैया सवाल खड़ा कर रहा है—क्या राम जन्मभूमि के प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन मिलावटखोरों पर सख्ती दिखाएंगे?
जांच का पूरा ब्योरा: कैसे खुली पोल?
नवरात्रि और दीपावली के मद्देनजर अयोध्या धाम में खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने 29 सितंबर को विशेष छापेमारी अभियान चलाया। हनुमानगढ़ी क्षेत्र की 31 दुकानों से लड्डू, बेसन, देसी घी, पेड़ा और अन्य प्रसाद सामग्री के नमूने लिए गए। इनकी जांच लखनऊ स्थित सरकारी लैब में की गई, जहां परिणाम चौंकाने वाले निकले।
- फेल नमूने: बेसन के लड्डू (एक नमूना), देसी घी (एक नमूना) और एक दुकान से लिया गया पनीर फेल पाया गया। घी में बासीपन और वनस्पति तेल की मिलावट, लड्डू में आर्टिफिशियल रंग और घटिया बेसन का इस्तेमाल पाया गया। एक नमूने में तो जानवरों की चर्बी तक मिली थी, जो तिरुपति बालाजी लड्डू विवाद की याद दिला रहा है।
- पास नमूने: 28 नमूने शुद्ध पाए गए, लेकिन दो फेल होने से पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया।
- अन्य खुलासे: अयोध्या धाम की एक प्रमुख दुकान से लिया गया पनीर भी FSSAI मानकों पर खरा नहीं उतरा। विभाग के सहायक आयुक्त मानिक चंद्र सिंह ने बताया कि नमूनों में कृत्रिम स्वाद और रंग मिलाने के अलावा स्वच्छता की भी कमी पाई गई। विभाग ने दोषी दुकानों को नोटिस जारी कर 72 घंटे में सुधार की चेतावनी दी है। गंभीर मामलों में दुकान सील और जुर्माना लगाने की कार्रवाई की जा रही है।
हनुमानगढ़ी: आस्था का केंद्र, जहां 99% श्रद्धालु चढ़ाते हैं भोग
अयोध्या आने वाले करोड़ों भक्तों में से करीब 99 प्रतिशत रामलला के साथ-साथ हनुमानगढ़ी के दर्शन अवश्य करते हैं। सरयू नदी के दाहिने तट पर बसे इस 10वीं शताब्दी के प्राचीन मंदिर तक पहुंचने के लिए 76 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मान्यता है कि लंका विजय के बाद भगवान राम ने अपने परम भक्त हनुमान को यहीं रामकोट की रक्षा का दायित्व सौंपा था।
मंदिर की दीवारों पर हनुमान चालीसा की चौपाइयां खुदाई गई हैं, जो भक्तों को आकर्षित करती हैं।परंपरा के अनुसार, यहां बजरंगबली को बेसन के लड्डू ही अर्पित किए जाते हैं। राम जन्मभूमि परिसर में बाहर का प्रसाद ले जाना प्रतिबंधित है, इसलिए भक्त कनक भवन या हनुमानगढ़ी में ही भोग चढ़ाते हैं। लेकिन अब सवाल यह है कि क्या यह मिलावटी प्रसाद भगवान को चढ़ाने लायक है? सोशल मीडिया पर भक्तों का गुस्सा फूट पड़ा है। एक यूजर ने लिखा, “भगवान के प्रसाद में मिलावट? यह आस्था का अपमान है!”
एक अन्य पोस्ट में तंज कसा गया, “तिरुपति के बाद अब अयोध्या? बुलडोजर कब चलेगा?”
चेतावनी के बावजूद लापरवाही:मंदिर प्रशासन की मुश्किलें
हनुमानगढ़ी के सागरिया पट्टी उत्तराधिकारी महंत संजय दास ने कुछ महीनों पहले ही विक्रेताओं को सख्त चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था, “लड्डू केवल उच्च गुणवत्ता वाले बेसन और शुद्ध देसी घी से बनें।” लड्डू का भाव 450-500 रुपये प्रति किलो तय किया गया था ताकि सस्ते माल की होड़ न हो।
“व्यापक प्रभाव: स्वास्थ्य जोखिम और आस्था का संकट
“भक्तों के लिए सलाह: सावधानी बरतें
- हमेशा पैकेज्ड और लाइसेंस प्राप्त प्रसाद ही खरीदें।
- दुकान पर FSSAI लाइसेंस चेक करें।
- घर पर ही शुद्ध सामग्री से प्रसाद बनाकर चढ़ाएं, जहां संभव हो।
- संदिग्ध प्रसाद मिलने पर हेल्पलाइन 1800-11-2100 पर शिकायत करें।
अयोध्या राम की नगरी है, जहां आस्था और विश्वास का बोलबाला है। लेकिन इस तरह के मामले आस्था को कलंकित कर रहे हैं। उम्मीद है कि प्रशासन जल्द कड़ी कार्रवाई करेगा, ताकि भक्त निश्चिंत होकर दर्शन कर सकें। क्या आपका भी कोई अनुभव है? हमें बताएं।