संवाददाता
लखनऊ, नवसत्ता ।: जनसमस्याओं को लेकर लगातार विपक्ष के निशाने पर चल रहे उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ए के शर्मा ने आज अपने ही विभाग के आला अधिकारियों की जमकर क्लास लगाई। अपने सख्त लहजे के लिए जाने जाने वाले मंत्री ने UPPCL के चेयरमैन और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की मीटिंग में विभाग की कार्यशैली पर तीखे सवाल उठाए और जमीनी हकीकत से मुंह मोड़ने का आरोप लगाया।
पूरे दस मिनट तक अधिकारियों को सुनने के बाद जब मंत्री ए के शर्मा ने बोलना शुरू किया तो मीटिंग में सन्नाटा पसर गया। उन्होंने सीधे शब्दों में अधिकारियों से कहा कि वे अपनी “बकवास बंद” करें, क्योंकि वे उनकी “बकवास सुनने को नहीं बैठे हैं”। मंत्री ने जोर देकर कहा कि जमीनी हकीकत विभाग के दावों से बिल्कुल अलग है और अधिकारियों को जनता का सामना करना चाहिए तभी उन्हें वास्तविकता का पता चलेगा। उन्होंने हाल ही में किए गए अपने जिलों के दौरे का हवाला दिया।
मंत्री ने विभाग के अधिकारियों को “अंधे, बहरे और काने” तक कह डाला और आरोप लगाया कि उन्हें इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि जनता किस परेशानी से जूझ रही है और विभाग के बारे में उनकी क्या राय है। उन्होंने यहां तक कह दिया कि बिजली विभाग का काम “पुलिस से भी ख़राब” है, क्योंकि नीचे से आने वाली झूठी रिपोर्टों को ही ऊपर तक बताया जाता है।
बिजली विभाग को “बनिया की दुकान” नहीं बताते हुए मंत्री ने कहा कि यह एक जन सेवा है और उसी भावना से काम करना होगा। उन्होंने पूरे फीडर या गांव की लाइन काटने पर नाराजगी जताई और सवाल किया कि जो उपभोक्ता समय से बिल भर रहे हैं, उनका क्या दोष है? उनके जले हुए ट्रांसफार्मर को न बदलना या उसकी क्षमता न बढ़ाना कौन सा न्याय है?
गुस्से में मंत्री ने यह भी कहा कि ऐसा लगता है जैसे बिजली विभाग ने उन्हें बदनाम करने की “सुपारी” ले ली है। उन्होंने कंप्यूटर के जमाने में आम आदमी को आने वाले भारी-भरकम गलत बिलों और उन्हें ठीक करने के लिए पैसे मांगने की प्रथा पर भी कड़ी आपत्ति जताई।
मंत्री ने विजिलेंस की छापेमारी पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि गलत जगहों पर छापे मारे जा रहे हैं और जहां बड़ी चोरी हो रही है, वहां कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि एफआईआर करने के नाम पर पैसा वसूली हो रही है।
अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए मंत्री ने अधिकारियों को आज की सारी बातें लिखकर रखने का निर्देश दिया और कहा कि मौखिक रूप से वह थक चुके हैं, क्योंकि मीटिंग में उनकी बातें सुनने के बाद अधिकारी कहीं और से “संचालित” होकर उल्टा ही करते हैं।
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब यह सब नहीं चलेगा, क्योंकि वह जनता के प्रति जवाबदेह हैं और विधानसभा में जवाब देते हैं। उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि उन्हें मनमानी करने का अधिकार किसने दिया है। मंत्री ने कहा कि अधिकारियों के गलत और असामयिक निर्णयों का खामियाजा पूरा प्रदेश भुगत रहा है और बार-बार कहने के बावजूद वे सतर्क नहीं हो रहे हैं, जैसे कि संविदा कर्मियों को निकालने, फोन न उठाने और विद्युत दुर्घटनाओं के मामलों में लापरवाही बरती जा रही है।
ऊर्जा मंत्री ए के शर्मा की इस फटकार के बाद अब यह देखना होगा कि बिजली विभाग की कार्यशैली में कितना सुधार आता है और आम जनता को बिजली संबंधी समस्याओं से कब तक निजात मिल पाती है।