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विकास दुबे के खिलाफ दर्ज 65 में से 21 मुकदमों की फाइलें गायब

कानपुर,नवसत्ता : उत्तर प्रदेश के कानपुर के बिकरू कांड में न्यायिक जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। न्यायिक आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुख्यात विकास दुबे के विरुद्ध दर्ज 65 में से 21 मुकदमों की फाइलें गायब हैं। पुलिस के आला अधिकारियों के निर्देश के बाद भी 21 मुकदमों की फाइलें पुलिस तलाश नहीं सकी है। ये मुकदमे कानपुर के शिवली, कल्याणपुर, चौबेपुर और बिल्लौर में दर्ज थे।

बता दें कानपुर के बिकरू कांड और गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर मामले की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने 132 पृष्ठों की रिपोर्ट दी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि विकास दुबे और उसके गैंग को कानपुर में स्थानीय पुलिस के साथ ही राजस्व और प्रशासनिक अधिकारियों का संरक्षण हासिल था। यही कारण था कि घटना की रात घर पर पुलिस रेड की जानकारी विकास दुबे को पहले से ही मिल गई थी। इसी संरक्षण के कारण ही विकास दुबे का नाम सर्किल के टॉप 10 अपराधियों की सूची में शामिल नहीं था, जबकि उस पर 64 आपराधिक मुकदमे चल रहे थे। उसके खिलाफ दर्ज मुकदमों की कभी निष्पक्ष जांच भी नहीं हुई।

वहीं दूसरी तरफ कानपुर में गैंगस्टर के मददगार के रूप में 37 पुलिसकर्मी जांच में दोषी पाए गए हैं। इनमें 1996 से लेकर 2020 तक वे सभी पुलिसकर्मी शामिल हैं, जिन्होंने कहीं न कहीं विकास दुबे को कानून के शिकंजे से निकालने का काम किया या फिर उसके काले कारनामों पर पर्दा डाला है।

कानपुर में सात सदस्यीय एसआईटी जांच की अगुवाई कर रहे आईजी रेंज मोहित अग्रवाल ने बताया कि इस घटना के बाद तत्कालीन डीआईजी अनंत देव तिवारी समेत 11 सीओ को भी दोषी पाया गया था। इनकी जांच शासन स्तर से हो रही है। यहां पर जो सूची तैयार की गई है, उसमें इंस्पेक्टर से लेकर सिपाही पद के लोग शामिल हैं। कार्रवाई की जो सूची तैयार की गई है उसमें 37 पुलिसकर्मी शामिल हैं, जिनमें से दो की मौत हो चुकी है, जबकि चार रिटायर हो चुके हैं।

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