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मल्टीनेशनल फार्मा कंपनी सिप्ला को डीसीजीआई से आज मिल सकती है मंजूरी

नई दिल्ली,नवसत्ता : मॉडर्ना के इम्पोर्ट की फार्मा कंपनी सिप्ला ने ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से कोरोना वायरस वैक्सीन के इम्पोर्ट की इजाजत मांगी है। सूत्रों के मुताबिक कंपनी ने सोमवार को आवेदन दिया था और आज उसको मंजूरी मिल सकती है।

बता दें कि कोविड-19 से बचाव के लिए मॉडर्ना की वैक्सीन आरएनए पर निर्भर करती है, ताकि कोरोना वायरस के लिए प्रतिरक्षा पैदा करने के लिए सेल्स को प्रोग्राम किया जा सके। फाइजर के साथ ही ये वैक्सीन अमीर देशों की पसंद बनी रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना के खिलाफ वैक्सीन की डोज 90 फीसदी तक प्रभाव वाली है। कोरोना की इस वैक्सीन के जोखिम उसके फायदों के मुकाबले कहीं नहीं हैं। 120 मिलियन से ज्यादा अमेरिका के लोग अब तक फाइजर या फॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन लगवा चुके हैं।
आंकड़ों की बात करें तो करीब 120 मिलियन अमेरिकी अब तक फाइजर और मॉडर्ना की डोज लगवा चुके हैं, इनमें से किसी में कोई बड़ी स्वास्थ्य समस्या सामने नहीं आई है। विशेषज्ञों कहते हैं कीमत ज्यादा होने, शिपिंग और स्टोरेज की समस्या के चलते कम आय वाले देशों में एमआरएनए बेस्ड वैक्सीन की उपलब्धता सीमित हो सकती है।
अमेरिका और यूरोपीय संघ लगातार एमआरएनए वैक्सीन का स्टॉक जमा करने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, जापान भी जून के अंत तक फाइजर के 10 करोड़ डोज प्राप्त करने की तैयारी कर रहा है। जानकारों का कहना है कि ज्यादा कीमत, सीमित उत्पादन और परिवहन के लिए ज्यादा शर्तें और स्टोरेज की परेशानी के चलते कम आय वाले देशों में एमआरएनए वैक्सीन की उपलब्धता काफी कम है।

वहीं कोविड-19 वैक्सीनेशन पर सिंगापुर की विशेषज्ञ समिति ने डॉक्टर्स के लिखे गए एक ओपन लैटर के जवाब में कहा कि कोविड-19 रोधी ‘एमआरएनए’ वैक्सीन के लाभ उसके जोखिम से कहीं ज्यादा हैं। समिति ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि ‘एमआरएनए’ टीकों की दूसरी डोज युवा पुरुषों में ‘मायोकार्डिटिस’ और ‘पेरीकार्डिटिस’ के जोखिम में संभवत: मामूली वृद्धि कर सकती है।

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