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डॉक्टर्स डे विशेष:जानिए अपने डॉक्टर के अनसुने किस्से,मिलिए रायबरेली की दंत चिकित्सक डाक्टर सीमा त्रिपाठी से

गरिमा

रायबरेली,नवसत्ता:आगामी डॉक्टर्स डे से पहले हमारी इस विशेष शृंखला में आज आपको मिलवाते हैं ज़िले की दंत चिकित्सक डाक्टर सीमा त्रिपाठी से।डाक्टर सीमा ऊंचाहार स्थित नारायण हॉस्पिटल में निजी प्रैक्टिस करती हैं। डॉक्टर्स डे विशेष परिशिष्ट के लिए उनके कुछ अनसुने किस्से जानने की बात कही तो अतीत में जाते हुए उन्होंने बताया, बचपन से दंत चिकित्सा के प्रति आकर्षण था। डा. सीमा त्रिपाठी कहती हैं यह लक्ष्य तब बना जब उन्होंने अपने पिता को ऊपरी दांत में असहनीय पीड़ा सहते हुए देखा। वह अपने पिता के साथ उनके इलाज के लिए शहर के एक जाने माने वरिष्ठ दंत चिकित्सक के पास गयीं। डॉक्टर के लोकल एनेस्थेसिया दिए जाने के बावजूद भी उनके पिता को असहनीय पीड़ा कम नहीं हुई।दांत निकालने में भी काफी परेशानी हुई। पिता का कष्ट देखकर ही उन्होंने उनसे कहा,मैं बड़ी होकर डेंटिस्ट बनूंगी और आपका व आपके जैसे अन्य मरीजों का इलाज करूंगी।
इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए डॉ. सीमा ने बीडीएस की पढ़ाई के लिए चिल्ड्रन डेंटल कॉलेज आजमगढ़ में प्रवेश लिया। उसके बाद डेंटल हाइजीनिस्ट की पढ़ाई उन्होंने किंग जॉर्ज मेडिकल कालेज लखनऊ से पूरी की।
अपने बीस सालों के मेडिकल कैरियर में वैसे तो डॉ. सीमा ने अनेक चुनौतपूर्ण स्थितियों का सामना किया है। उनमें से एक के बारे में हमसे साझा करते हुए बताया,एक केस उनके पास आया था, जिसमें एक महिला की अकल दाढ़ निकलने में परेशानी हो रही थी। दांत सीधा निकलने के बजाए टेढ़ा निकल रहा था।इस कारण सर्जरी की आवश्यकता थी। लखनऊ के चिकित्सकों ने इसके लिए 10000 रु का खर्चा बताया था। सर्जरी सफल होने को लेकर वहां के डॉक्टर आश्वस्त भी नहीं थे।तब डॉ.सीमा त्रिपाठी ने मात्र 1500 रु के खर्च में सफल आपरेशन को अंजाम दिया था।बिना आर्थिक बोझ के महिला को आराम मिला,जिसका आज भी वह ज़िक्र करती है।
आने वाली हमारी युवा पीढ़ी के लिए उनका क्या संदेश है,यह पूछे जाने पर डॉक्टर सीमा कहती हैं,बच्चों के लिए यही संदेश है कि आगे बहुत प्रतिस्पर्धा है इसलिए खूब पढ़ाई करें।बच्चों के कैरियर को लेकर चिंतित अभिभावकों से वह कहती हैं,अपने सपनों को बच्चों पर न थोपें बल्कि उनकी रुचि के अनुसार उन्हें कैरियर बनाने में मदद करें और प्रोत्साहित करें।

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