संवाददाता
नई दिल्ली, नवसत्ता : सहारा समूह की विवादों से घिरी संपत्तियों को Adani Properties को बेचने की अनुमति मांगने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कल (14 अक्टूबर) सुनवाई करेगा। एम्बी वैली और सहारा शहर जैसी प्रमुख संपत्तियों को बेचने से जुड़े इस प्रस्ताव ने निवेशकों के हितों और समूह के कर्ज चुकाने की प्रक्रिया को नई दिशा देने की उम्मीद जगाई है। प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एम.एम. सुंदरेश की बेंच दोपहर 2 बजे इस मामले पर विचार करेगी।
याचिका में क्या मांग:
, सहारा इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड (SICCL) ने अधिवक्ता गौतम अवस्थी के माध्यम से दायर इस अंतरिम आवेदन में कहा है कि समूह की चल-अचल संपत्तियों—जैसे महाराष्ट्र की एम्बी वैली और उत्तर प्रदेश के लखनऊ में सहारा शहर—को Adani Properties Private Limited को 6 सितंबर की ‘टर्म शीट’ के नियमों और शर्तों पर बेचने की अनुमति दी जाए। याचिका में जोर दिया गया कि सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी मिलने पर ही यह सौदा पूरा हो सकेगा।
समूह ने बताया कि SEBI-सहारा ‘रिफंड’ खाते में कुल 24,030 करोड़ रुपये जमा करने का लक्ष्य है, जिसमें से 16,000 करोड़ रुपये पहले ही संपत्तियों की बिक्री से प्राप्त हो चुके हैं। लेकिन शेष राशि जुटाने में SEBI की असमर्थता और बाजार की चुनौतियों के कारण देरी हो रही है। याचिका में कहा गया कि प्रतिष्ठित ब्रोकरेज फर्मों की मदद से भी संपत्तियां बिक्री में कठिनाई हो रही है।
सुब्रत रॉय के निधन के बाद नई रणनीति:
परिवार की इच्छा से अधिकतम मूल्य पर बिक्रीसहारा समूह के संस्थापक सुब्रत रॉय की नवंबर 2023 में मौत के बाद समूह ने अपना प्रमुख निर्णयकर्ता खो दिया। याचिका में उल्लेख है कि रॉय परिवार के सदस्य दैनिक संचालन में शामिल नहीं थे, लेकिन निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए परिवार की इच्छा से संपत्तियों को अधिकतम मूल्य पर और जल्द बेचने का फैसला लिया गया। इसका उद्देश्य कोर्ट के आदेशों का पालन, दायित्वों का निर्वहन और वर्तमान अवमानना कार्यवाही को समाप्त करना है।
कर्मचारियों का वेतन और SEBI दस्तावेज: अलग याचिकाओं पर भी सुनवाई का अनुरोध
सुनवाई से पहले सोमवार को एक वकील ने सहारा कम्युनिकेशंस के कर्मचारियों के 2014 से रुके वेतन जारी करने की याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया। एक अन्य वकील ने संपत्ति खरीदार की ओर से SEBI को बिक्री से जुड़े दस्तावेज जारी करने का निर्देश देने वाली याचिका को सूचीबद्ध करने की मांग की। ये मांगें सहारा समूह के लंबित मामलों का हिस्सा हैं, जो निवेशकों के रिफंड और कर्मचारी हितों से जुड़े हैं।
सहारा विवाद की पृष्ठभूमि: SEBI रिफंड का बोझ
2012 से चले आ रहे सहारा-SEBI विवाद में समूह पर निवेशकों को रिफंड करने का आदेश है। सुप्रीम कोर्ट ने कई बार हस्तक्षेप किया है, लेकिन संपत्ति बिक्री में देरी से प्रक्रिया अटकी हुई है। Adani Properties के साथ यह सौदा समूह के लिए राहत साबित हो सकता है, लेकिन कोर्ट की मंजूरी के बिना आगे नहीं बढ़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि सुनवाई के नतीजे से न केवल सहारा के कर्ज चुकाने की प्रक्रिया तेज होगी, बल्कि Adani ग्रुप की रियल एस्टेट विस्तार योजनाओं पर भी असर पड़ेगा।
लखनऊ के सहारा शहर पर नगर निगम का कब्जा: हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई
लखनऊ के गोमती नगर स्थित सहारा शहर (Sahara City) पर लखनऊ नगर निगम (LMC) ने दावा ठोंकते हुए 6-7 अक्टूबर को कब्जा कर लिया और पूरा परिसर सील कर दिया। 130-170 एकड़ फैले इस आलीशान साम्राज्य पर सहारा समूह का 30 साल पुराना स्वामित्व अब खतरे में है। लेकिन सहारा प्रबंधन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती देकर मामला उलझा दिया है। सुनवाई जारी है, और सरकार-नगर निगम से जवाब तलब किया गया है। इसका अंतिम फैसला कोर्ट ही लेगा, जो निवेशकों, कर्मचारियों और संपत्ति के भविष्य को प्रभावित करेगा।
क्या है पूरा मामला?
सहारा शहर की जमीन 1997 में लखनऊ नगर निगम ने सहारा इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड (SICCL) को 30 साल की लीज पर आवासीय कॉलोनी विकसित करने के लिए दी थी। लेकिन सहारा ने लीज शर्तों का उल्लंघन करते हुए इसे आलीशान कोठी, कारपोरेट ऑफिस, गेस्ट हाउस और अन्य व्यावसायिक उपयोग में बदल दिया। लीज की अवधि 2025 में खत्म होने पर नगर निगम ने कार्रवाई की। 6 अक्टूबर को नोटिस बोर्ड लगाकर चेतावनी दी गई, और 7 अक्टूबर को पूरी तरह सील कर दिया गया।
नगर निगम ने कर्मचारियों को बाहर निकाला और कब्जा ले लिया। एक विवादास्पद बात यह है कि सीलिंग के बावजूद एक पार्किंग गेट खुला छोड़ दिया गया, जहां सुरक्षाकर्मी भी नहीं हैं। इससे सवाल उठे हैं कि क्या सीलिंग पूरी तरह प्रभावी है? कोई भी व्यक्ति आसानी से अंदर घुस सकता है।
सहारा का विरोध: हाईकोर्ट में याचिका, सुनवाई जारी
सहारा प्रबंधन ने तुरंत इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल की। 8 अक्टूबर को पहली सुनवाई हुई, जहां कोर्ट ने सरकार और नगर निगम से जवाब मांगा। सहारा का तर्क है कि लीज पर दी गई जमीनों पर उनकी कानूनी हकदारी है, और नगर निगम की कार्रवाई मनमानी है। हाईकोर्ट ने मामला सूचीबद्ध कर आगे की सुनवाई तय की है। सहारा ने दावा किया कि यह कार्रवाई उनके व्यावसायिक संचालन को ठप कर देगी।आगे क्या होगा? संभावित परिणाम
- यदि हाईकोर्ट सहारा के पक्ष में: लीज बहाल हो सकती है या नई शर्तों पर विस्तार मिल सकता है। सहारा समूह की संपत्तियों को Adani Properties को बेचने की सुप्रीम कोर्ट वाली याचिका (जिसमें सहारा शहर शामिल है) पर भी असर पड़ सकता है।
- यदि नगर निगम जीतता है: जमीन वापस नगर निगम के कब्जे में रहेगी। अटकलों के मुताबिक, इसे आवासीय कॉलोनी, पार्क या सार्वजनिक उपयोग में बदला जा सकता है। सहारा के निवेशकों को रिफंड प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
- कर्मचारियों पर असर: सहारा कम्युनिकेशंस के कर्मचारियों का 2014 से रुका वेतन पहले से विवाद में है। सीलिंग से सैकड़ों कर्मचारियों की नौकरी खतरे में है।
- SEBI रिफंड कनेक्शन: सहारा का SEBI-सहारा ‘रिफंड’ खाते में 16,000 करोड़ रुपये जमा हैं, लेकिन शेष 8,000 करोड़ के लिए संपत्ति बिक्री जरूरी है।