संवाददाता
नई दिल्ली, नवसत्ता : सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई पर कथित तौर पर जूता फेंकने वाले 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर को दिल्ली पुलिस ने पूछताछ के बाद रिहा कर दिया है। यह घटना सुप्रीम कोर्ट परिसर में हुई, जिसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए वकील को हिरासत में लिया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने उनके खिलाफ कोई औपचारिक शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया, जिसके चलते वकील को रिहा कर दिया गया।
दिल्ली पुलिस के सूत्रों के अनुसार, घटना के बाद वकील राकेश किशोर से करीब तीन घंटे तक पूछताछ की गई। इस दौरान उनके कब्जे से एक सफेद कागज का नोट बरामद हुआ, जिसमें लिखा था, “मेरा संदेश हर सनातनी के लिए है… सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।” इसके अतिरिक्त, उनके पास सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन, शाहदरा बार एसोसिएशन और दिल्ली बार काउंसिल के कार्ड भी मिले। पुलिस ने जूता और अन्य सामान वकील को सौंप दिया, क्योंकि रजिस्ट्रार जनरल ने कोई कानूनी कार्रवाई न करने का निर्देश दिया।
बार काउंसिल ने की सख्त कार्रवाई
इस घटना के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने वकील राकेश किशोर को तत्काल प्रभाव से अदालतों में प्रैक्टिस करने से निलंबित कर दिया। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद मनन कुमार मिश्रा ने इस घटना को “बेहद दुखद और शर्मनाक” करार देते हुए कहा, “यह घटना देश के सभी वकीलों के लिए शर्मिंदगी का कारण बनी है। हमारे सीजेआई भी सनातनी हैं और मंदिर जाते हैं। इस तरह की हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी।” उन्होंने आगे कहा कि इस घटना ने देश के कानूनी समुदाय की गरिमा को ठेस पहुंचाई है।
घटना का विवरण
जानकारी के अनुसार, यह घटना सुप्रीम कोर्ट के परिसर में उस समय हुई, जब वकील राकेश किशोर ने कथित तौर पर सीजेआई बीआर गवई की ओर जूता फेंकने का प्रयास किया। हालांकि, जूता सीजेआई तक नहीं पहुंचा, और तुरंत ही सुरक्षाकर्मियों ने वकील को हिरासत में ले लिया। इस घटना ने पूरे न्यायिक और कानूनी समुदाय में हलचल मचा दी। दिल्ली पुलिस की सुरक्षा इकाई और नई दिल्ली जिला पुलिस ने संयुक्त रूप से मामले की जांच शुरू की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की मंजूरी के अभाव में कोई औपचारिक कार्रवाई नहीं की गई।
वकील के नोट ने बढ़ाया विवाद
राकेश किशोर के कब्जे से बरामद नोट ने इस मामले को और विवादास्पद बना दिया। नोट में सनातन धर्म के अपमान का उल्लेख था, जिसके बाद कई लोग इस घटना को धार्मिक भावनाओं से जोड़कर देख रहे हैं। हालांकि, पुलिस ने इस मामले में किसी भी तरह की सांप्रदायिक टिप्पणी से बचते हुए केवल तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की।
सूत्रों के अनुसार, वकील ने पूछताछ के दौरान इस घटना के पीछे अपनी व्यक्तिगत नाराजगी और धार्मिक भावनाओं को कारण बताया।
कानूनी समुदाय में नाराजगी
इस घटना ने देश भर के वकीलों और कानूनी समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है। कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने इस कृत्य की निंदा करते हुए कहा कि यह न केवल सुप्रीम कोर्ट की गरिमा के खिलाफ है, बल्कि पूरे कानूनी पेशे को बदनाम करने वाला है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए राकेश किशोर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी है।
आगे की कार्रवाई
हालांकि दिल्ली पुलिस ने वकील को रिहा कर दिया है, लेकिन बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने स्पष्ट किया है कि राकेश किशोर का निलंबन तब तक जारी रहेगा, जब तक इस मामले की पूरी जांच नहीं हो जाती। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने भी इस घटना को गंभीरता से लेते हुए भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करने का निर्णय लिया है। यह घटना न केवल सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में एक दुर्भाग्यपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज होगी, बल्कि यह कानूनी पेशे की गरिमा और नैतिकता पर भी सवाल उठाती है।