नीरज श्रीवास्तव
लेह, नवसत्ता : लद्दाख की बर्फीली वादियों में शिक्षा और पर्यावरण के लिए जूझने वाले सोनम वांगचुक का नाम आज एक नई बहस का केंद्र बन गया है। एक ओर वे ‘3 इडियट्स’ फिल्म के फुंसुख वांगड़ू के रीयल लाइफ इंस्पिरेशन हैं, तो दूसरी ओर केंद्र सरकार उन्हें लेह में बुधवार को हुई हिंसक झड़पों का जिम्मेदार ठहरा रही है, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और 70 से ज्यादा घायल हुए। क्या यह एक पर्यावरण कार्यकर्ता की सच्ची लड़ाई है या राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं का खेल? आइए, इसे समझते हैं।
सोनम वांगचुक कौन हैं?
सोनम वांगचुक का जन्म 1 सितंबर 1966 को लद्दाख के संकर गांव में हुआ। एक मैकेनिकल इंजीनियर होने के बावजूद, उन्होंने अपनी जिंदगी लद्दाख के युवाओं की शिक्षा सुधारने और पर्यावरण संरक्षण में समर्पित कर दी। 1988 में उन्होंने SECMOL (स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख) की स्थापना की, जो सरकारी स्कूलों में सुधार लाने का एक अनोखा प्रयास था। यहां ‘फेल’ स्टूडेंट्स को एडमिशन मिलता है, और वे सोलर हीटेड मड हाउस बनाकर सर्दियों में गर्माहट का सबक सीखते हैं।
वांगचुक की सबसे बड़ी खोज ‘आइस स्टूपा’ है – कृत्रिम हिमनद जो गर्मियों में पानी की कमी को पूरा करता है। 2013 में उन्होंने न्यू लद्दाख मूवमेंट शुरू किया, जो पर्यावरण, शिक्षा और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर फोकस करता है। 2015 से वे हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स (HIAL) पर काम कर रहे हैं, जो लद्दाख के संदर्भ में प्रासंगिक शिक्षा देने का सपना है। उनकी मेहनत रंग लाई – 2018 में उन्हें ग्लोबल सिटिजन अवॉर्ड मिला, और वे ‘3 इडियट्स’ के उस किरदार के पीछे की सच्ची प्रेरणा बने, जो इनोवेशन सिखाता है।

लेकिन 2019 के बाद, जब जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा गया, वांगचुक की लड़ाई राजनीतिक रंग लेने लगी। उन्होंने लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची (ट्राइबल एरिया के लिए संवैधानिक सुरक्षा) की मांग उठाई। बीते सालों में वे कई बार भूख हड़ताल पर उतरे, और 2024 में उन्होंने चेतावनी दी थी कि बेरोजगारी और लोकतांत्रिक संस्थाओं की कमी से लद्दाख ‘विस्फोटक’ हो सकता है।
लद्दाख हिंसा: क्या हुआ था 24 सितंबर को?
बुधवार को लेह में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन अचानक हिंसक हो गया। हजारों लोग – ज्यादातर युवा, स्कूली लड़कियां, कॉलेज स्टूडेंट्स और यहां तक कि भिक्षु – सड़कों पर उतर आए। वे BJP कार्यालय, LAHDC सचिवालय और CRPF वाहन पर हमला कर आग लगा दिया। पुलिस को आंसू गैस और गोली चलानी पड़ी, जिसमें चार मौतें हुईं और 30 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी घायल हुए। स्थिति शाम 4 बजे तक काबू में आई, लेकिन आज लेह-करगिल में कर्फ्यू लगा रहा।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, यह ‘जनरेशन Z’ का गुस्सा था – जो शांतिपूर्ण हड़ताल से तंग आ चुके थे। लेकिन केंद्र सरकार का दावा अलग है। गृह मंत्रालय के बयान में कहा गया कि वांगचुक के ‘भड़काऊ भाषणों’ ने भीड़ को उकसाया। उन्होंने ‘अरब स्प्रिंग’ स्टाइल प्रोटेस्ट और नेपाल के ‘जनरेशन Z’ आंदोलनों का जिक्र किया, जो युवाओं को गुमराह करने वाला था। मंत्रालय ने कहा, “वांगचुक ने भूख हड़ताल जारी रखी, जबकि हाई पावर कमिटी (HPC) में इन मुद्दों पर चर्चा हो रही थी। 24 सितंबर को सुबह 11:30 बजे उनके भाषण के बाद भीड़ ने हमला किया।” इसके बाद वांगचुक ने हड़ताल तोड़ दी और एम्बुलेंस से गांव चले गए, बिना स्थिति संभालने की कोशिश किए।
लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने इसे ‘साजिश’ करार दिया। उन्होंने कहा, “यह स्वतःस्फूर्त नहीं था। हम माहौल खराब करने वालों को नहीं छोड़ेंगे।” BJP ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि यह उनकी ‘नापाक साजिश’ है, जबकि वांगचुक ने राजनीतिक दलों के समर्थन से इनकार किया: “कोई पार्टी इतनी ताकतवर नहीं कि इतने बड़े पैमाने पर लोग सड़क पर उतरें। यह टूटे वादों का नतीजा है।
“केंद्र की कार्रवाई:
हिंसा के बाद CBI ने वांगचुक के खिलाफ FCRA (फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट) उल्लंघन की जांच शुरू कर दी। आरोप है कि उनकी संस्थाओं को विदेशी फंडिंग मिली, जो लद्दाख में अशांति फैलाने के लिए इस्तेमाल हुई। हाल ही में लद्दाख प्रशासन ने HIAL को 135 एकड़ जमीन का आवंटन रद्द कर दिया, क्योंकि 2018 से 14 करोड़ का किराया बकाया था, जो अब 37 करोड़ हो गया। कोई यूनिवर्सिटी नहीं बनी, न ही मान्यता मिली।वांगचुक ने आज कहा, “मेरा जेल जाना सरकार के लिए ज्यादा समस्या पैदा करेगा। वे मुझे PSA (पब्लिक सेफ्टी एक्ट) के तहत गिरफ्तार करने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन यह सिर्फ मुझे बलि का बकरा बनाने की चाल है।
” उन्होंने युवाओं से शांति की अपील की: “मेरा शांतिपूर्ण संदेश आज फेल हो गया। यह हमारी लड़ाई को नुकसान पहुंचाता है।”वांगचुक ने आज अपने सोशल मीडिया हैंडल ऐक्स पर कल की आनलाइन प्रेस कांफ्रेस को अपलोड कर लिखा है कि उम्मीद है कि इससे लोगों का वास्तविकता समझने में मदद मिलेगी।
MY PRESS CONFERENCE ON THIS MOST UNFORTUNATE INCIDENT
Hope this brings some clarity.https://t.co/skSAKWWc8C— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) September 25, 2025
नायक या उकसाने वाला?
सोनम वांगचुक की कहानी हमें सोचने पर मजबूर करती है। एक तरफ, वे लद्दाख के लिए सच्चे सिपाही हैं – जिन्होंने बंजर जमीन पर पानी लहराया और फेल स्टूडेंट्स को इनोवेटर बनाया। लेकिन दूसरी तरफ, केंद्र का आरोप गंभीर है: क्या उनकी भूख हड़ताल और भाषणों ने युवाओं को गुमराह किया? HPC ने पहले ही ST कोटा 45% से 84% किया, महिलाओं को 1/3 आरक्षण दिया, भोटी-
पुरगी को आधिकारिक भाषा का दर्जा मिला, और 1800 नौकरियां शुरू हुईं। 6 अक्टूबर की बैठक को 25-26 सितंबर पर एडवांस करने का प्रस्ताव भी है।
फिर हिंसा क्यों?
यह घटना लद्दाख के भविष्य पर सवाल उठाती है। 2019 के वादे अधूरे हैं, लेकिन हिंसा से समाधान नहीं मिलेगा। वांगचुक जैसे कार्यकर्ता अगर संवाद चुनें, तो लद्दाख फल-फूल सकता है। लेकिन अगर महत्वाकांक्षाएं हिंसा को जन्म दें, तो नौजवान ही सबसे ज्यादा नुकसान झेलेंगे। सरकार को पारदर्शिता दिखानी होगी, और कार्यकर्ताओं को शांति का रास्ता। वरना, यह सीमा पर हमारी एकता को कमजोर करेगा।क्या आपको लगता है कि वांगचुक निर्दोष हैं या जिम्मेदार? बहस जारी रहेगी, लेकिन लद्दाख की शांति सबसे ऊपर होनी चाहिए।