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नई दिल्ली , नवसत्ता: देश में छात्रों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। कोर्ट ने इसे शिक्षा व्यवस्था की असफलता बताते हुए कहा कि यह महज़ व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि सिस्टमिक फेलियर है। कोर्ट ने इस मुद्दे पर 15 अहम दिशा-निर्देश (Guidelines) जारी किए हैं, जो सभी स्कूलों, कॉलेजों, कोचिंग संस्थानों और हॉस्टलों पर लागू होंगे।
🧠 मेंटल हेल्थ को लेकर सुप्रीम एक्शन
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि आत्महत्या के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, वे बहुत भयावह हैं।
NCRB रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में 13,044 छात्रों ने आत्महत्या की, जबकि 2001 में यह संख्या 5,425 थी — यानी बीते दो दशकों में ये आंकड़े दोगुने से भी ज्यादा हो गए हैं।
कोर्ट ने यह भी बताया कि हर 100 आत्महत्याओं में करीब 8 छात्र होते हैं, और 2,248 छात्रों ने परीक्षा में असफलता के कारण अपनी जान दी।
⚖️ कोर्ट की तीखी टिप्पणी:
“जब बच्चे पढ़ाई के दबाव, मानसिक तनाव और संस्थानों की बेरुखी से आत्महत्या कर रहे हों, तो यह साफ है कि व्यवस्था कहीं न कहीं असफल हो रही है।”
📝 सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी 15 दिशानिर्देशों की मुख्य बातें:
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मेंटल हेल्थ पॉलिसी अनिवार्य: हर संस्थान को अपनी मानसिक स्वास्थ्य नीति बनानी होगी और उसे सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करना होगा।
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प्रशिक्षित काउंसलर की नियुक्ति: हर संस्थान में प्रोफेशनल काउंसलर या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ अनिवार्य होंगे।
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छोटे बैच में मार्गदर्शन: छात्रों को छोटे ग्रुप्स में बांटकर समर्पित काउंसलर उपलब्ध कराए जाएं।
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हॉस्टल सुरक्षा उपाय: आत्महत्या रोकने के लिए पंखों, बालकनी, छत जैसी जगहों पर विशेष उपकरण लगाए जाएं।
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बिना भेदभाव बैच विभाजन पर रोक: कोचिंग संस्थानों में प्रदर्शन के आधार पर छात्रों को अलग-अलग बैचों में बांटना प्रतिबंधित।
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उत्पीड़न पर सख्त कार्रवाई: जाति, लिंग, यौन पहचान या किसी भी भेदभाव पर सख्त शिकायत प्रणाली हो।
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आपातकालीन हेल्पलाइन: हॉस्टलों और संस्थानों में हेल्पलाइन नंबर, अस्पताल की जानकारी स्पष्ट रूप से चिपकाई जाए।
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स्टाफ ट्रेनिंग: शिक्षकों और कर्मचारियों को साल में कम से कम दो बार मानसिक स्वास्थ्य पर प्रशिक्षण देना होगा।
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अभिभावक जागरूकता: माता-पिता के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएं ताकि वे बच्चों पर अतिरिक्त दबाव न डालें।
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संवेदनशील मामलों पर त्वरित कार्रवाई: आत्महत्या से जुड़े मामलों पर फौरन जांच और सहायता की व्यवस्था हो।
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परीक्षा प्रणाली की समीक्षा: समय-समय पर परीक्षा पैटर्न की समीक्षा की जाए ताकि छात्रों पर अनावश्यक दबाव न पड़े।
🕯️ संदर्भ: NEET छात्रा की मौत और CBI जांच
सुप्रीम कोर्ट की ये गाइडलाइंस उस समय सामने आई हैं जब एक 17 वर्षीय NEET छात्रा की संदिग्ध आत्महत्या के मामले में सुनवाई चल रही थी। कोर्ट ने मामले की CBI जांच के आदेश भी दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला छात्रों की मानसिक सेहत और शैक्षणिक वातावरण में बड़ा सुधार लाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।