लखनऊ, नवसत्ता ।: उत्तर प्रदेश पुलिस ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘मिशन अस्मिता’ अभियान के तहत एक और बड़े धर्मांतरण रैकेट का खुलासा किया है। यह गिरोह लड़कियों को बहला-फुसलाकर, प्रलोभन देकर और कट्टरपंथी विचारधारा के जरिए उनका धर्म परिवर्तन करा रहा था। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्ण ने बताया कि इस मामले में देश के विभिन्न राज्यों से 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें एक महिला भी शामिल है।
डीजीपी राजीव कृष्ण ने जानकारी दी कि इस रैकेट को कनाडा, अमेरिका और दुबई सहित कई देशों से करोड़ों रुपये की अंतरराष्ट्रीय फंडिंग मिल रही थी। इस पैसे का इस्तेमाल देश में धार्मिक कट्टरता फैलाने और लड़कियों को झांसा देकर उनका धर्म बदलवाने में किया जा रहा था। इस गिरोह के काम करने का तरीका, फंडिंग का बड़ा जाल और इनकी कार्यशैली आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठनों से मिलती-जुलती थी। शुरुआती जांच में इसके PFI, SDPI और पाकिस्तानी आतंकी संगठनों से भी संबंध होने के संकेत मिले हैं।
आगरा से लापता बहनों के केस से सामने आया पूरा जाल
इस धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश तब हुआ जब आगरा से दो सगी बहनों के लापता होने की शिकायत मिली। डीजीपी ने बताया कि सीएम योगी के निर्देश पर पूरे प्रदेश में अवैध धर्मांतरण रोकने के लिए ‘मिशन अस्मिता’ चलाया जा रहा है। इसी अभियान के तहत आगरा की शिकायत पर पुलिस ने जांच शुरू की, जिससे धर्मांतरण का यह पूरा खेल सामने आया। जांच में पता चला कि दोनों लड़कियों का ब्रेनवॉश कर उनका धर्म परिवर्तन कराया गया था।
पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार के नेतृत्व में सात टीमें बनाई गईं। इन टीमों ने सर्विलांस और साइबर सेल की मदद से अहम जानकारियां जुटाईं। टीमें कोलकाता भेजी गईं, जहां से लापता दोनों बहनों को सुरक्षित वापस लाया गया। उनसे पूछताछ के बाद पुलिस ने छह अलग-अलग राज्यों में छापेमारी कर 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
प्यार, नौकरी और पैसे का लालच देकर फंसाते थे जाल में
डीजीपी ने बताया कि पकड़े गए आरोपी खास तौर पर लड़कियों और नाबालिग बच्चियों को प्यार, नौकरी, आर्थिक मदद और धर्म से जुड़ी गलत बातें बताकर अपने जाल में फंसाते थे। वे पहले भावनात्मक रूप से उन्हें कमजोर करते थे और फिर दबाव या लालच देकर उन्हें इस्लाम में परिवर्तित करा देते थे। उनकी यह कार्यप्रणाली आईएसआईएस के कट्टरपंथी मॉड्यूल जैसी ही थी, जिसमें सोशल मीडिया, डार्क वेब और कुछ मोबाइल ऐप्स के जरिए युवाओं को मानसिक रूप से कट्टर बनाकर धर्मांतरण के लिए तैयार किया जाता था।
यह भी बताया गया कि हाल ही में जलालुद्दीन उर्फ छांगुर के अवैध धर्म परिवर्तन सिंडिकेट का भी पर्दाफाश किया गया था, जिसकी एसटीएफ और एटीएस द्वारा जांच जारी है।
‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत कार्रवाई जारी
डीजीपी राजीव कृष्ण ने साफ किया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी पुलिस अपराध और देश विरोधी तत्वों के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाते हुए पूरी सख्ती से कार्रवाई कर रही है। ‘मिशन अस्मिता’ के तहत इससे पहले भी मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती जहांगीर आलम कासमी जैसे कई बड़े अवैध धर्मांतरण रैकेट का खुलासा हो चुका है, जिन्होंने सैकड़ों लोगों का जबरन या बहला-फुसलाकर धर्म बदलवाया था।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में शामिल हैं: आयशा (एस.बी. कृष्णा) – गोवा, अली हसन (शेखर रॉय) – कोलकाता, ओसामा – कोलकाता, रहमान कुरैशी – आगरा, अब्बू तालिब- खालापार, मुजफ्फरनगर, अबुर रहमान- देहरादून, मोहम्मद अली- जयपुर, राजस्थान, जुनैद कुरैशी- जयपुर, मुस्तफा (मनोज)- दिल्ली और मोहम्मद अली- जयपुर।
यह कार्रवाई अवैध धर्मांतरण के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस की लगातार बढ़ रही सख्ती को दिखाती है और राज्य में सामाजिक सद्भाव बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।