पटना, नवसत्ता: बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो रही हैं। इसी क्रम में टीवी9 भारतवर्ष के विशेष कार्यक्रम ‘सत्ता सम्मेलन बिहार’ में जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने शिरकत की। इस दौरान उन्होंने अपनी पार्टी के चुनावी एजेंडे को स्पष्ट किया और इस सवाल का बेबाकी से जवाब दिया कि क्या वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए प्रचार कर रहे हैं।
शिक्षा, भूमि सुधार और रोजगार पर जोर
प्रशांत किशोर ने जोर देकर कहा कि उनकी पार्टी शिक्षा, भूमि सुधार और रोजगार को चुनावी मुद्दों के रूप में पेश कर रही है। उनका तर्क है कि बिहार से गरीबी दूर करने के लिए ये तीनों ही अत्यंत आवश्यक हैं।
“जिसके लिए वोट दिया, वह मिला” – पीके का बेबाक जवाब
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह पीएम मोदी और नीतीश कुमार के लिए प्रचार कर रहे हैं, तो प्रशांत किशोर ने कहा कि जनता ने जिस काम के लिए वोट दिया है, वह काम हुआ है। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का उदाहरण देते हुए कहा, “अगर अयोध्या में मंदिर बनाने के लिए वोट दिया गया है तो मंदिर बन गया, चाहे बिहार के गांव की कोई भी स्थिति हो। यहां फैक्ट्री लगे या न लगे, लेकिन हमारे वोट की ताकत से मंदिर बन गया।”
इसके साथ ही उन्होंने जनता से सवाल किया कि क्या उन्होंने अपने बच्चों की पढ़ाई और रोजगार के लिए वोट दिया है, तो लोगों ने ‘नहीं’ में जवाब दिया। पीके ने स्पष्ट किया, “जिस चीज के लिए वोट दिया गया वो मिल रहा है और जिसके लिए नहीं दिया वो नहीं मिल रहा है। वोट प्रशांत किशोर को दो, मोदी को दो, नीतीश को दो… लेकिन वोट अपने बच्चे की पढ़ाई और रोजगार के लिए दीजिए।”
बिजली का उदाहरण और गरीबी का समाधान
प्रशांत किशोर ने बिजली का उदाहरण देते हुए बताया कि अगर बिहार में बिजली आ गई है तो इसके लिए लोगों ने नीतीश कुमार को सत्ता पर बैठाया है, लेकिन बिजली का बिल देने के लिए पैसा और रोजगार भी चाहिए। उन्होंने दिल्ली से तुलना करते हुए कहा कि दिल्ली की आबादी बिहार की 60% होने के बावजूद, वहां पूरे बिहार के मुकाबले सवा गुना ज्यादा बिजली की खपत हो रही है, जो दर्शाता है कि लोगों के पास पैसा है। जबकि बिहार में, बिजली होने के बावजूद, लोगों के पास एक बल्ब का बिल देने के लिए भी पैसे नहीं हैं।
उन्होंने जोर दिया कि गरीबी दूर करने के लिए शिक्षा, खेती योग्य जमीन या व्यापार के लिए पूंजी ही दुनिया भर के विशेषज्ञों द्वारा बताए गए तीन मौलिक रास्ते हैं। बिजली से गरीबी दूर नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि बिहार में दो-तिहाई परिवारों के पास ये तीनों चीजें नहीं हैं।
बिहार में भूमिहीनता और कम प्रति व्यक्ति आय
प्रशांत किशोर ने बिहार में भूमिहीनता की गंभीर स्थिति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि तीस-पैंतीस साल से सामाजिक न्याय और समाजवाद की राजनीति होने के बावजूद बिहार में 57% लोग भूमिहीन हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 38% है। उनके अनुसार, बिहार में कभी भूमि सुधार लागू नहीं किया गया। व्यापार के मोर्चे पर, उन्होंने कहा कि बिहार में 80% लोगों की प्रति व्यक्ति आय रोजाना 100 रुपये से भी कम है, जिससे पूंजी जुटाना असंभव हो जाता है। जिन लोगों के पास थोड़ी बहुत पूंजी है, उन्हें बैंक लोन नहीं देते।
प्रशांत किशोर ने निष्कर्ष निकाला कि बिहार में जब तक शिक्षा, भूमि सुधार और लोगों के हाथ में पैसा नहीं होगा, तब तक राज्य की गरीबी दूर नहीं हो सकती। उनकी पार्टी का मानना है कि इन तीन चीजों के लिए काम होना चाहिए, और यह तभी होगा जब लोग इन तीन मुद्दों के लिए वोट देंगे।