नई दिल्ली,नवसत्ता: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत और अमेरिका के संबंधों को सिर्फ चीन के संदर्भ में देखने के विपक्ष के नजरिए को ‘बहुत अधिक सरलीकरण’ और ‘भ्रामक’ करार दिया है। उन्होंने मैनहट्टन में न्यूजवीक के मुख्यालय में दिए गए अपने बयान में जोर देकर कहा कि दोनों देशों के रिश्ते कई अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं से जुड़े हैं।
चीन से परे हैं भारत-अमेरिका के संबंध
न्यूजवीक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी देव प्रगाद के साथ बातचीत के दौरान जयशंकर ने उस सवाल का जवाब दिया जिसमें पूछा गया था कि भारत-अमेरिका के संबंध किस हद तक चीन के संदर्भ में उसका रुख जाहिर करते हैं। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि भारत-अमेरिका संबंधों को सिर्फ चीन से जोड़ देना एक बहुत ही बड़ा सरलीकरण है। वास्तव में, यह न केवल सरलीकरण है, बल्कि कई बार भ्रामक भी होता है।”
भारतीय समुदाय और आर्थिक संबंध ‘गेम-चेंजर’
विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-अमेरिका संबंध “कई अन्य पहलुओं” से जुड़े हुए हैं। उन्होंने अमेरिका में रहने वाले बड़े और प्रभावशाली भारतीय समुदाय का उल्लेख किया, जो दोनों देशों के संबंधों में महत्वपूर्ण योगदान देता है। जयशंकर ने कहा, “मुझे लगता है कि यह ‘गेम-चेंजर’ साबित होगा। इसका चीन से कोई लेना-देना नहीं है।” उन्होंने वाशिंगटन और दिल्ली के बीच मजबूत आर्थिक संबंधों को भी रेखांकित किया, जिसमें व्यापार आंकड़े और प्रौद्योगिकी सहयोग शामिल हैं।
रक्षा सहयोग: सिर्फ चीन से नहीं जुड़ा
जयशंकर ने रक्षा या सुरक्षा सहयोग को भी चीन से जोड़ने की प्रवृत्ति पर सवाल उठाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत और अमेरिका वैश्विक नौवहन के लिए अरब सागर को सुरक्षित रखने जैसे मुद्दों पर मिलकर काम करते हैं। उन्होंने कहा, “मैं आपसे दूसरे पहलू की ओर देखने के लिए कहता हूं। हम वैश्विक नौवहन के लिए अरब सागर को सुरक्षित रखने के वास्ते काम करते हैं।”
वैश्विक परिदृश्य और भारत की रणनीति
वर्तमान वैश्विक परिदृश्य की वास्तविकताओं पर बात करते हुए जयशंकर ने स्वीकार किया कि अमेरिका और चीन के बीच का रिश्ता अब पहले जैसा नहीं रहा और इसमें अब काफी अधिक प्रतिस्पर्धात्मकता आ गई है। उन्होंने कहा, “हम ईमानदारी से यह देखना चाहेंगे कि इस परिदृश्य में हमारे हित किस प्रकार आगे बढ़ते हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत अमेरिका के साथ बहुत समानताएं साझा करता है, लेकिन साथ ही चीन का सबसे बड़ा पड़ोसी होने के नाते उसके साथ भूमि सीमा भी साझा करता है।
चीन के साथ स्थिर संबंध और व्यापार
विदेश मंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि बीजिंग भारत का एक बहुत बड़ा व्यापारिक भागीदार है, हालांकि यह व्यापार संतुलित नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत चीन के साथ स्थिर संबंध चाहता है, जबकि सभी देशों के साथ संबंधों को बरकरार रखना महत्वपूर्ण है। उन्होंने विपक्ष से ऐसी प्रतिक्रियाएं देने से पहले डिप्लोमेसी को समझने का आग्रह किया।