संवाददाता
नई दिल्ली,नवसत्ताः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आज देश की आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार देने के उद्देश्य से रेपो रेट में 50 आधार अंकों की कटौती का ऐलान किया है। अब रेपो रेट 6 प्रतिशत से घटकर 5.5 प्रतिशत पर आ गया है। यह लगातार तीसरी बार है जब आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती की है।
लगातार तीसरी कटौतीः क्यों अहम है यह फैसला?
इस साल फरवरी, अप्रैल और अब जून में हुई कटौतियों को मिलाकर कुल 100 बेसिस पॉइंट्स (1 प्रतिशत) की राहत दी जा चुकी है। मुद्रास्फीति के लगातार नीचे आने और आर्थिक सुस्ती के संकेतों को देखते हुए आरबीआई ने यह कदम उठाया है। अब मुद्रास्फीति की दर घटकर 3.2 प्रतिशत पर आ गई है, जो कि 4 प्रतिशत के न्यूनतम लक्ष्य से भी नीचे है।
सीआरआर में भी राहतः तरलता बढ़ेगी, कर्ज देना आसान होगा
आरबीआई ने नकद आरक्षित अनुपात ( सीआरआर ) में भी 100 आधार अंकों की कटौती की है, जो चार चरणों में लागू की जाएगी कृ 6 सितंबर, 4 अक्टूबर, 1 नवंबर और 29 नवंबर से हर बार 25-25 आधार अंक घटेंगे। इससे बैंकिंग प्रणाली में करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त तरलता आने की उम्मीद है।
क्या होगा इस कटौती का सीधा असर?
रेपो रेट में कटौती से बैंक अपने कर्ज सस्ते कर सकते हैं। इससे लोन की ब्याज दरें घटेंगी, जिससे आम लोगों की ईएमआई कम होगी और उधारी की लागत कम होने से उपभोग और निवेश में तेजी आएगी।
उदाहरण के तौर परः
अगर किसी व्यक्ति ने रू 20 लाख का होम लोन लिया है, तो ब्याज दर में 0.5 प्रतिशत की कटौती से उसकी ईएमआई में रू 500 से 600 की मासिक राहत मिल सकती है।
नीतिगत रुख में बदलावः अब तटस्थ दृष्टिकोण
आरबीआई ने इस बार मौद्रिक नीति के रुख को समायोजनकारी से बदलकर तटस्थ कर दिया है। गवर्नर मल्होत्रा के अनुसार, चूंकि फरवरी से अब तक 1 प्रतिशत की कटौती हो चुकी है, इसलिए अब आरबीआई सतर्क दृष्टिकोण अपनाएगा ताकि विकास और मुद्रास्फीति दोनों पर नजर रखी जा सके।
📊 महंगाई और जीडीपी का अपडेट
मुद्रास्फीति अनुमान घटकर 3.7 प्रतिशत कर दिया गया है।
जीडीपी ग्रोथ अनुमान पहले की तरह 6.5 प्रतिशत पर बरकरार है।
🌾 कृषि और खाद्य मुद्रास्फीति पर अच्छी खबर
रबी फसलों को लेकर अब अनिश्चितताएं काफी हद तक दूर हो चुकी हैं। दूसरे अग्रिम अनुमानों के मुताबिक इस साल रिकॉर्ड गेहूं और दालों का उत्पादन होने की संभावना है, जिससे खाद्य मुद्रास्फीति और घट सकती है।
🌍 भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि भारत अब भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है। बैंकिंग, कॉरपोरेट और सरकारी सेक्टर की मजबूत बैलेंस शीट और स्थिर बाहरी स्थिति देश की आर्थिक नींव को और मजबूत बना रही है।
आरबीआई के इस फैसले से लोन सस्ता होगा, ब्याज दर घटेगी और बाजार में तरलता बढ़ेगी। साथ ही, महंगाई पर नियंत्रण और रबी फसलों की अच्छी पैदावार से आर्थिक संतुलन बना रहेगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वाणिज्यिक बैंक इस राहत को ग्राहकों तक कितनी तेजी से पहुंचाते हैं।