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नई संसद की लोकसभा में पेश हुआ महिला आरक्षण बिल

नवसत्ता, नई दिल्लीः देश की नयी संसद की लोकसभा में आज 128वां संविधान संशोधन बिल यानी नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश किया गया। इसके मुताबिक लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेंशन डिलिमिटेशन यानी परिसीमन के बाद ही लागू होगा। ये परिसीमन इस विधेयक के बाद होने वाली जनगणना के आधार पर ही होगा। महिला आरक्षण बिल पर सभी दल एक साथ नजर आ रहे हैं। ऐसे में इस बिल के आसानी से दोनों सदनों से पास होने की उम्मीद है। इस बिल के कानून बनने के बाद महिलाओं को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं की 33 फीसदी सीटों पर आरक्षण मिलेगा।

2024 में होने वालेआम चुनावों से पहले जनगणना और परिसीमन कराना करीब-करीब असंभव है। इससे साफ है कि अगर विधानसभा और लोकसभा के चुनाव समय पर हुए तो इस बार आरक्षण लागू नहीं होगा। यानी यह 2029 के लोकसभा चुनाव या इससे पहले के कुछ विधानसभा चुनावों से लागू हो सकता है।

क्या है महिला आरक्षण बिल?
भारत का महिला आरक्षण बिल एक संविधान संशोधन विधेयक है। इसके जरिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण देने की बात कही गई है। इस बिल को पहली बार 1996 में पेश किया गया था, लेकिन तब से लेकर अब तक इसे पारित नहीं किया जा सका। बिल के अनुसार आरक्षित सीटों के लिए उम्मीदवारों को किसी भी राजनीतिक दल से चुनाव लड़ने की इजाजत मिलेगी।

इस बिल में 33% कोटा के भीतर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का प्रस्ताव भी है। आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन के जरिए आवंटित की जा सकती हैं। महिला आरक्षण बिल के समर्थकों का तर्क है कि यह महिलाओं के सशक्तिकरण और प्रतिनिधित्व में सुधार के लिए एक आवश्यक कदम है।

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