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संसद के नए परिसर के उद्घाटन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

लखनऊ, नवसत्ताः आगामी 28 मई होने वाले नई संसद के उद्घाटन को लेकर आए दिन विवाद बढ़ता ही जा रहा है, और आज बात सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुकी हैं। हाल में नए संसद के उद्घाटन को लेकर कई विपक्षी नेताओं ने यह मांग की थी कि नई संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराया जाना चाहिए, और यदि ऐसा न किया गया तो यह राष्ट्रपति का अपमान होगा। इसी मामले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में विपक्षी दलों ने एक याचिका दायर की है। इस याचिका में कहा गया है कि लोकसभा सचिवालय ने राष्ट्रपति को उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं करके संविधान का उल्लंघन किया है।

उन्होनें यह भी कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दरकिनार कर प्रधानमंत्री से नई संसद के उद्घाटन कराने का निर्णय न केवल गंभीर अपमान है, बल्कि यह लोकतंत्र पर भी सीधा हमला है। इसी के साथ कांग्रेस नेता जयराम नरेश ने कहा कि बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रांची में झारखंड देश के सबसे बड़े न्यायिक परिसर का उद्घाटन किया। यह एक व्यक्ति के अहंकार और आत्म-प्रचार की इच्छा है, जिसने पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करने के संवैधानिक विशेषाधिकार से वंचित कर दिया है।

इतना ही नहीं ब्लकि कई विपक्षी दल पहले से ही नए संसद भवन के उद्घाटन में जाने से इंकार कर चुके है और कह चुके है कि इस सरकार में संसद से लोकतंत्र की आत्मा को निकाल दिया गया है। ऐसे में नए भवन का कोई अर्थ नहीं है। समझने वाली बात यह है कि कुल 40 पार्टियों है जिसमें से 17 पार्टी ही इस नई संसद भवन के उद्घाटन में जाने के लिए तैयार है। लेकिन कांग्रेस समेत बाकी की 23 पर्टियां इस के उद्घाटन में जाने से क्यों इंकार कर रही है।

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