रायबरेली,नवसत्ताः भाजपा प्रत्याशी शालिनी कनौजिया के समर्थन में आज यहां हुई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसभा के बाद जिस तरह शहर में चर्चा है उससे लगने लगा है कि इस जनसभा से उन्हें लाभ कम नुकसान ज्यादा होगा। निकाय चुनाव में ध्रुवीकरण साफ नजर आ रहा है। शहर की सरकार चुनने के लिए हो रहे चुनाव प्रचार अभियान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ताबड़तोड़ जनसभाएं कर रहे हैं। यह पहली बार है कि कोई मुख्यमंत्री इस स्तर तक चुनाव अभियान में भाग ले रहा है।
उनका तर्क है कि अब डबल नहीं ट्रिपल इंजन सरकार चुनने का मौका है। हालांकि आमतौर पर देखा गया है कि निकाय चुनाव में स्थानीय मुद्दे हावी रहते हैं। इस बार रायबरेली की सीट अनुसूचित जाति के कोटे में जाने के बाद भाजपा ने इस सीट से शालिनी कनौजिया को टिकट दिया है। शहर के डा बीरबल की पत्नी होना ही उनकी सबसे बड़ी पहचान है।
अभी तक सक्रिय राजनीति से दूर रहने के कारण उनका चुनाव प्रचार अन्य प्रत्याशियों की अपेक्षा काफी पीछे चल रहा है। गुटबाजी में बंटा भाजपा संगठन भी इसका एक बड़ा कारण है। यही कारण है कि प्रचार अभियान को गति देने के लिए पार्टी नेतृत्व ने मुख्यमंत्री की जनसभा लगवाई। बावजूद इसके शहर के कायस्थों व ब्रहामणों का बड़ा वर्ग शालिनी कनौजिया के साथ खड़ा नजर नहीं आ रहा है। भाजपा ने इस बार जिले में किसी कायस्थ प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया है।
निकाय चुनाव में कायस्थ वोट अहम भूमिका निभाता है। सीएम योगी की जनसभा के बाद मुस्लिम वर्ग भी एकजुट होकर उन्हें हराने का प्रयास करेगा। पिछली बार इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी को जीत हासिल हुई थी हलांकि नगर पालिका अध्यक्ष चुने जाने के बाद वह भाजपा में शामिल हो गये थे। इस बार कांग्रेस ने इस सीट के लिए शत्रोघन सोनकर को मैदान में उतारा है। वहीं समाजवादी पार्टी की ओर से पारसनाथ चुनाव मैदान में है। उन्हें ऊंचाहार के विधायक मनोज पाण्डेय चुनाव लड़वा रहे हैं। ऐसे में चुनाव त्रिकोणीय न होकर दो ध्रुवी होता जा रहा है। निश्चित तौर पर यह भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं है।