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बिना ओबीसी आरक्षण के निकाय चुनाव कराने का मामला: विपक्ष ने बताया साजिश,सरकार ने कहा मिलेगा आरक्षण,जरूरत हुई तो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे

संवाददाता
लखनऊ, 27 दिसंबर (नवसत्ता): यूपी निकाय चुनाव में पिछड़ों के आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के आज आए फैसले के बाद प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। विपक्ष ने जहां इसे पिछड़ों का हक मारने की साजिश करार दिया है वहीं योगी सरकार ने साफ किया है की पिछड़ों को आरक्षण का लाभ दिला कर ही चुनाव कराए जाएंगे और इसके लिए आवश्यकता पड़ी तो सरकार सुप्रीम कोर्ट में उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील करेगी।
हाईकोर्ट के आज के फैसले ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। न्यायमूर्ति देवेंद्र उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया खंडपीठ ने रायबरेली की वैभव पांडे की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने की पिछड़ों को आरक्षण दिए जाने की सुप्रीम कोर्ट की वर्ष 2021 की गाइडलाइन का पालन नहीं किया है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा पांच दिसंबर के नोटिफिकेशन को खारिज करते हुए पिछड़ी सीट को सामान्य सीट मानकर जल्द चुनाव कराने के निर्देश दिए। हाईकोर्ट की फैसले के बाद सत्ता पक्ष के सहयोगी अपना दल, राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी सपा,बसपाऔर आम आदमी पार्टी इस फैसले के विरोध में उतर आई है। सपा व आम आदमी पार्टी ने तो इसे पिछड़ों का हक मारने की भाजपा की साजिश करार दिया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव ने कहा है कि इस साजिश के खिलाफ पिछड़ों व दलितों को एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन करना होगा।
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने कहा है की भाजपा की इस साजिश का जवाब पिछड़े आने वाले चुनाव में जरूर देंगे।
 उधर आम आदमी पार्टी के सांसद और प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने सीधे सीधे योगी सरकार पर पिछड़ों का हक मारने का आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार ने जानबूझ कर पिछड़ों को आरक्षण में कमियां छोड़ी,ताकि उनका हक मारा जा सके। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार के इस कदम के खिलाफ सड़कों पर उतरेगी और निकाय चुनाव में पिछड़ों को उनका हक दिला कर रहेगी।

इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि प्रदेश सरकार नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन के परिप्रेक्ष्य में आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध करायेगी। इसके उपरान्त ही नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन को सम्पन्न कराया जाएगा। यदि आवश्यक हुआ तो राज्य सरकार  उच्च न्यायालय के निर्णय के क्रम में तमाम कानूनी पहलुओं पर विचार करके सर्वोच्च न्यायालय में अपील भी करेगी।

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