नई दिल्ली, नवसत्ता: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को यमुना नदी की साफ-सफाई को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यमुना को स्वच्छ करने की जिम्मेदारी केवल दिल्ली की नहीं है, बल्कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली—तीनों राज्यों को मिलकर समन्वित प्रयास करने होंगे।
एसटीपी आउटफ्लो की हो थर्ड पार्टी जांच
शाह ने कहा कि इन राज्यों के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) से निकलने वाले जल की गुणवत्ता की निरंतर और निष्पक्ष जांच जरूरी है। उन्होंने सुझाव दिया कि एसटीपी आउटफ्लो की थर्ड पार्टी क्वालिटी चेक कराई जानी चाहिए ताकि यमुना में रसायनिक अपशिष्ट का प्रवाह रोका जा सके।
नजफगढ़ और शाहदरा ड्रेनों का होगा ड्रोन सर्वे
उन्होंने नजफगढ़ और शाहदरा ड्रेन में मौजूद बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) स्तर को सुधारने के लिए ड्रोन सर्वे कराने पर जोर दिया। यह ड्रेने राजधानी दिल्ली में यमुना को सबसे अधिक प्रभावित करती हैं, इसलिए इनकी निगरानी और सुधार प्राथमिकता होनी चाहिए।
दिल्ली के हर घर की जलापूर्ति पर सर्वे के निर्देश
शाह ने दिल्ली में जल आपूर्ति को लेकर एक विस्तृत सर्वे के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि हर घर तक पानी की स्थिति को समझना ज़रूरी है ताकि राजधानी में एक मजबूत जल वितरण योजना बनाई जा सके। उन्होंने बोरवेल के जरिए हो रही अनियंत्रित जल निकासी पर चिंता जताई और इसे चरणबद्ध तरीके से नियमित करने की बात कही।
यमुना के ई-फ्लो को लेकर उत्तर प्रदेश से बातचीत की जरूरत
गृह मंत्री ने कहा कि यमुना में पर्याप्त ई-फ्लो (environmental flow) बनाए रखना आवश्यक है। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार से बात कर कोई व्यवहारिक समाधान निकालने की जरूरत है, ताकि दिल्ली में प्रवेश करते समय यमुना का जल प्रवाह बेहतर हो सके। साथ ही, उन्होंने सुझाव दिया कि ओखला से निकलने वाले उपचारित जल को यमुना के डाउनस्ट्रीम में छोड़ा जाए, जिससे जल गुणवत्ता सुधारी जा सके।
औद्योगिक प्रदूषण पर दिल्ली सरकार उठाए सख्त कदम
अमित शाह ने बैठक में कहा कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) को जल प्रदूषण पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने दिल्ली सरकार से अपेक्षा की कि वह औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले अपशिष्ट पर नियंत्रण के लिए सतत एवं प्रभावी कदम उठाए।
निष्कर्ष
यमुना की सफाई को लेकर अब केंद्र ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि सिर्फ बयानबाज़ी नहीं, ठोस योजनाओं और राज्य सरकारों के साझा प्रयासों से ही यह कार्य संभव होगा। आने वाले समय में इस दिशा में क्या ठोस परिणाम देखने को मिलते हैं, यह देखने योग्य होगा।