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उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य हो सकते हैं भाजपा के अगले प्रदेश अध्यक्ष

अखिलेश के पीडीए की काट के लिए नेतृत्व सौंपेगा जिम्मेदारी
 

नीरज श्रीवास्तव
लखनऊ,नवसत्ता : उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं, और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का नाम सबसे आगे चल रहा है। आज राज्यपाल से उनकी मुलाकात को इन अटकलों से जोड़ा जा रहा है, और राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा गर्म है कि भाजपा अखिलेश यादव के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समीकरण की काट के तौर पर मौर्य को यह बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकती है। दोनो नेताओं में अक्सा बयानबाजी होती रहती है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 2017 में जब भाजपा ने सपा से सत्ता छीनी थी तो उस समय प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ही थे।

हाल ही में, केशव प्रसाद मौर्य की दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकातें हुई थीं, जिसके बाद से ही उनके अगले प्रदेश अध्यक्ष बनने की संभावनाओं को बल मिला है। इन मुलाकातों में 2027 के विधानसभा चुनावों की रणनीति और संगठन को मजबूत करने पर गहन चर्चा हुई थी।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार अपने पीडीए समीकरण को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक मतदाताओं को एकजुट करना है। सपा का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर पिछड़े व दलित वर्ग की लगातार अनदेखी का मुद्दा बना रही है। भाजपा इस समीकरण का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत पिछड़े वर्ग के चेहरे को आगे बढ़ाना चाहती है, और केशव प्रसाद मौर्य इस कसौटी पर खरे उतरते हैं। वह 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे, और उनकी अगुवाई में पार्टी ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता हासिल की थी।

मौर्य का खुद को पहले भाजपा कार्यकर्ता और बाद में उपमुख्यमंत्री बताने का बयान, साथ ही संगठन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने पर जोर देना, यह संकेत देता है कि वह नई जिम्मेदारी के लिए तैयार हैं। उनकी सक्रियता को पार्टी की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके तहत भाजपा 2027 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से जीत सुनिश्चित करना चाहती है।
आज केशव प्रसाद मौर्य की राज्यपाल से मुलाकात को भले ही शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा हो, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे प्रदेश अध्यक्ष पद पर संभावित बदलाव की कवायद से जोड़कर देख रहे हैं। ऐसे महत्वपूर्ण समय में राज्यपाल से मुलाकातें अक्सर बड़े राजनीतिक घटनाक्रमों से पहले होती हैं।

भाजपा रणनीतिक रूप से आगे बढ़ रही है। 2025 के पंचायत चुनाव पार्टी की नई रणनीति का पहला टेस्ट होंगे, और नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव 2027 के विधानसभा चुनावों पर भी सीधा असर डालेगा। ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य जैसे अनुभवी और पिछड़े वर्ग के कद्दावर नेता को कमान सौंपना अखिलेश यादव के पीडीए समीकरण का प्रभावी जवाब हो सकता है। केशव प्रसाद मौर्य की नियुक्ति से भाजपा उत्तर प्रदेश में अपनी पकड़ और मजबूत कर पाएगी या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा।

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