नई दिल्ली,नवसत्ता: अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर 500 फीसदी का भारी टैक्स लगाने का ऐलान कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई बहस छेड़ दी है। इस प्रस्ताव का सबसे बड़ा असर भारत जैसे देशों पर पड़ने की पूरी संभावना है, जो रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदते आ रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिकी प्रशासन ने यह सख्त रुख अपनाया है।
क्यों अमेरिका का यह कड़ा रुख?
डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि जो देश रूस से तेल खरीदकर अपनी अर्थव्यवस्था मजबूत करने में लगे हैं, वे अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध जैसे संघर्षों को समर्थन दे रहे हैं। इसी कारण अब इन देशों पर भारी टैक्स लगाने में कोई संकोच नहीं किया जाएगा।
500% टैक्स का आम जनता पर बोझ
भारत पिछले कुछ वर्षों से रूस से भारी मात्रा में सस्ता कच्चा तेल खरीद रहा है। इससे भारत को ईंधन की कीमतों को नियंत्रित करने और महंगाई पर काबू पाने में काफी मदद मिली है। यदि अमेरिका यह 500% टैक्स लागू करता है, तो भारत को यह तेल खरीदना काफी महंगा पड़ सकता है। इसका सीधा असर भारत की आम जनता पर पड़ेगा। पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे ट्रांसपोर्ट, खाद्य सामग्री और उद्योगों की लागत में इज़ाफा होगा।
भारत को लग सकता है व्यापारिक झटका
भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 1 फीसदी से बढ़कर 40-44 फीसदी तक पहुंच गई है। जून में भारत ने रूस से 2-2.2 मिलियन बैरल प्रतिदिन तेल आयात करने की योजना बनाई, जो पिछले दो सालों में सबसे ज्यादा है। अगर यह बिल पास होता है और 500 फीसदी टैरिफ लागू होता है, तो अमेरिका में भारत से आयात होने वाले सामानों पर भी भारी टैक्स लगेगा, जिससे भारत को व्यापारिक झटका लग सकता है।
कूटनीतिक उलझन में भारत
भारत के लिए यह स्थिति दोहरी चुनौती लेकर आई है। एक तरफ वह अमेरिका का रणनीतिक साझेदार है, वहीं दूसरी तरफ रूस से उसके बहुत लंबे समय से मजबूत व्यापारिक और रक्षा संबंध बने हुए हैं। अमेरिका के इस दबाव को ध्यान में रखते हुए भारत को समझदारी से काम लेने की विशेष आवश्यकता है।