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प्रयागराज बवाल: चंद्रशेखर आजाद को रोकने पर भड़की हिंसा, पुलिस की ताबड़तोड़ गिरफ्तारी

प्रयागराज,नवसत्ता : प्रयागराज के करछना तहसील के इसौटा गांव में हुई हिंसा के बाद पुलिस ने कड़ा रुख अपनाया है। आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद को दलित परिवार से मिलने से रोकने के बाद भड़के उपद्रवियों ने जमकर तोड़फोड़, पथराव और आगजनी की। इस घटना ने जिले की शांति व्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां की हैं और चिह्नित उपद्रवियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाने की तैयारी कर रही है।

बवाल का मंजर: पुलिस और आम लोग हुए घायल

उपद्रवियों का उत्पात ऐसा था कि उन्होंने पुलिस की तीन गाड़ियों सहित एक दर्जन से ज्यादा वाहनों को तोड़ डाला और कई मोटरसाइकिलों को आग के हवाले कर दिया। पथराव में चौकी प्रभारी समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। इस हिंसा में आम लोगों, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे, को भी चोटें आईं। घटनास्थल पर दहशत का माहौल बन गया था, लेकिन पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए स्थिति को तेजी से नियंत्रण में लिया।

लावारिस बाइकें सीज, CCTV फुटेज से पहचान

घटना के बाद पुलिस ने जब इलाके की तलाशी ली, तो 42 लावारिस बाइकें मिलीं। माना जा रहा है कि बवाल के दौरान उपद्रवी इन्हें मौके पर छोड़कर भाग निकले थे। सभी बाइकों को सीज कर दिया गया है और उनके नंबरों के आधार पर मालिकों की पहचान की जा रही है। जिनके नाम पर बाइकें पंजीकृत हैं, उन्हें नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा। इसके साथ ही, CCTV फुटेज और वीडियो के आधार पर भी उपद्रवियों की पहचान का काम जारी है।

50 से ज़्यादा गिरफ्तारियां, NSA की तैयारी

पुलिस अब तक 50 से ज़्यादा लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। पुलिस ने साफ कर दिया है कि इस हिंसा में शामिल किसी भी उपद्रवी को बख्शा नहीं जाएगा और उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।

चंद्रशेखर आजाद ने जताई साजिश की आशंका

वहीं, आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद ने इस पूरी घटना को एक साजिश का हिस्सा बताया है। उनका दावा है कि उनके कार्यकर्ता शांतिपूर्ण ढंग से सर्किट हाउस में उनके साथ मौजूद थे और वे हिंसा में शामिल नहीं थे। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी हिंसा में विश्वास नहीं रखती है। पुलिस और चंद्रशेखर आजाद के बीच का यह टकराव अब एक राजनीतिक रंग भी ले चुका है।

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