संवाददाता
महाकुम्भनगर, नवसत्ता: प्रयागराज के कुंभ मेले में एक नया और अनोखा व्यवसाय शुरू हो गया है। यहाँ भक्तों की फोटो को त्रिवेणी संगम में डुबोकर पवित्र स्नान कराया जा रहा है, और इसके लिए सिर्फ ₹500 का शुल्क लिया जा रहा है। यह सेवा उन लोगों के लिए है जो कुंभ मेले में जाकर स्नान करने में असमर्थ हैं। इस नए तरीके को लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है।
क्या है यह नया तरीका?
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, 144 साल में एक बार आने वाले महाकुंभ मेले में त्रिवेणी संगम में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है। हालांकि, हर कोई इस पवित्र स्नान के लिए प्रयागराज नहीं जा पाता। इसी कमी को देखते हुए कुछ लोगों ने एक नया तरीका ईजाद किया है।
विज्ञापन के मुताबिक, आप अपनी फोटो व्हाट्सएप पर भेज सकते हैं, और उसे त्रिवेणी संगम में डुबोकर पवित्र स्नान कराया जाएगा। इस सेवा के लिए ₹500 का शुल्क लिया जा रहा है। यह दावा किया जा रहा है कि इससे आपकी आत्मा शुद्ध होगी, आपको दिव्य आशीर्वाद मिलेगा और आपके पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
विज्ञापन में क्या कहा गया है?
विज्ञापन में कहा गया है:
“144 साल में एक बार आने वाले दिव्य महाकुंभ स्नान का यह आखिरी मौका है, इसे हाथ से न जाने दें। अपनी फोटो हमें व्हाट्सएप के जरिए भेजें। हम आपकी फोटो की कॉपी लेंगे और उसे पवित्र जल में डुबोकर स्नान कराएंगे। इससे आपको पुण्य की प्राप्ति होगी और आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव आएंगे।”
संपर्क के लिए एक मोबाइल नंबर (8169695760) भी दिया गया है।
लोगों की प्रतिक्रिया
इस नए तरीके को लेकर लोगों की प्रतिक्रिया मिली-जुली है। कुछ लोग इसे धार्मिक भावनाओं का फायदा उठाने का तरीका मान रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि यह उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है जो कुंभ मेले में जाने में असमर्थ हैं।
कर्नाटक के बेलगावी से प्रयागराज गए कुछ भक्तों ने सतीश जारकीहोली (कर्नाटक के मुख्यमंत्री) की फोटो को त्रिवेणी संगम में डुबोकर पवित्र स्नान कराया। उन्होंने उनके सफल राजनीतिक करियर की कामना की। इसके अलावा, आईपीएल की टीम रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) के प्रशंसकों ने टीम की जर्सी को पवित्र स्नान कराया, ताकि टीम इस साल ट्रॉफी जीत सके।
कुंभ मेले का पवित्र स्नान हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है। हालांकि, फोटो के जरिए स्नान कराने का यह नया तरीका लोगों के बीच बहस का विषय बना हुआ है। क्या यह धार्मिक आस्था का नया रूप है या फिर व्यावसायिकता का एक तरीका, यह समय ही बताएगा।