संवाददाता
लखनऊ,नवसत्ताः प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान मौनी अमावस्या (29 जनवरी) की रात संगम नोज पर भगदड़ मच गई, जिसमें कम से कम 12 लोगों की मौत होने की आशंका है और दर्जनों लोग घायल हुए हैं। इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धालुओं से संगम नोज न जाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि श्रद्धालु वहां पहुंचने की कोशिश न करें और जिस घाट पर हैं, वहीं स्नान करें।
संगम नोज क्या है?
संगम नोज वह स्थान है जहाँ गंगा और यमुना नदियों का मिलन होता है। यह स्थान कुंभ मेले के दौरान श्रद्धालुओं के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। यहां दोनों नदियों का पानी अलग-अलग रंग में दिखाई देता है। यमुना का पानी हल्का नीला होता है, जबकि गंगा का पानी हल्का मटमैला दिखता है। यहां यमुना नदी गंगा में मिलकर समाप्त हो जाती है। कुंभ मेले के दौरान इस क्षेत्र को संगम घाट के रूप में चिह्नित किया जाता है।
संगम नोज का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में संगम नोज को अत्यंत पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि यहां स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी वजह से हर श्रद्धालु संगम नोज पर स्नान करना चाहता है। कुंभ मेले के दौरान अलग-अलग अखाड़ों के संत यहां धार्मिक अनुष्ठान और अमृत स्नान करते हैं। अमृत स्नान को राजयोग स्नान भी कहा जाता है और इसे कुंभ मेले का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है।
संगम नोज पर भीड़ प्रबंधन
इस बार कुंभ मेले के दौरान संगम नोज पर भीड़ को प्रबंधित करने के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे। सिंचाई विभाग ने शास्त्री ब्रिज और संगम नोज के बीच 26 हेक्टेयर जमीन को बढ़ाने का काम किया। इसके लिए चार बड़ी ड्रेजिंग मशीनों का इस्तेमाल किया गया और रेत की बोरियां बिछाकर संगम घाट के क्षेत्र को विस्तारित किया गया। अधिकारियों के मुताबिक, इससे संगम नोज पर स्नान क्षेत्र की क्षमता तीन गुना बढ़ गई। साल 2019 में यहां एक घंटे में 50 हजार श्रद्धालु स्नान कर सकते थे, लेकिन अब हर घंटे दो लाख से ज्यादा श्रद्धालु स्नान कर सकते हैं।
भगदड़ की वजह
मौनी अमावस्या के दिन संगम नोज पर भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई। इस घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धालुओं से संगम नोज न जाने की अपील की है ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि श्रद्धालु जिस घाट पर हैं, वहीं स्नान करें और संगम नोज जाने से बचें।