संवाददाता
जयपुर,नवसत्ताः उत्तर प्रदेश के संभल जिले में शाही मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा और व्याप्त तनाव के बीच अब राजस्थान के अजमेर की एक स्थानीय अदालत ने प्रसिद्ध अजमेर शरीफ दरगाह के सर्वेक्षण की मांग पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और दरगाह कमेटी को नोटिस जारी किया है। यह याचिका हिंदू सेना प्रमुख विष्णु गुप्ता ने दायर की है, जिसमें दावा किया गया है कि दरगाह क्षेत्र में पहले एक शिव मंदिर था, और पूजा-पाठ की पुनः शुरुआत की मांग की गई है।
याचिका और अदालती निर्देश
वादी के अधिवक्ता योगेश सिरोजा के अनुसार, याचिका सितंबर 2024 में दायर की गई थी। मामले पर सुनवाई करते हुए दीवानी न्यायाधीश मनमोहन चंदेल ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। इसमें दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मंत्रालय और ।ैप् शामिल हैं।
सियासी प्रतिक्रिया
इस मामले ने राजनीतिक माहौल गरमा दिया है
एआईएएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह दरगाह 800 वर्षों से अस्तित्व में है। उन्होंने भाजपा और आरएसएस पर धार्मिक स्थलों को लेकर नफरत फैलाने का आरोप लगाते हुए पूछा कि निचली अदालतें पूजा स्थल कानून, 1991 का पालन क्यों नहीं कर रही हैं।
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने इस कदम को देश को बांटने वाला बताया। उन्होंने केंद्र सरकार पर 1991 के पूजा स्थल कानून की अनदेखी करने और राजनीतिक लाभ के लिए विवाद खड़ा करने का आरोप लगाया।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अदालत के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि यदि ऐतिहासिक अन्याय हुआ है, तो उसकी जांच में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
मामले का व्यापक प्रभाव
अजमेर दरगाह शरीफ, जो 800 साल पुरानी है, ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखती है। इस विवाद ने एक बार फिर धार्मिक स्थलों और उनकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को लेकर सियासी और सामाजिक बहस छेड़ दी है।