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दुनिया के स्वास्थ्य के लिए काम कर रहा है भारत: मांडविया

नई दिल्ली,नवसत्ताः केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में कर्तव्य पथ पर वॉकथॉन का नेतृत्व किया जिसका उद्देश्य गैर संचारी रोगों और मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में जागरूकता पैदा करना था। विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने यहां वॉकथॉन कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीन पवार भी उपस्थित थीं। कार्यक्रम का आयोजन ‘हेल्थ फॉर ऑल’ की मुख्य विषय वस्तु के अंतर्गत किया गया था।

वॉकथॉन का उद्देश्य न केवल गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) को दूर रखने के लिए बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव हेतु स्वस्थ आदतों के बारे में जागरूकता पैदा करना था। वॉकथॉन विजय चौक, कर्तव्य पथ से शुरू होकर इंडिया गेट से होते हुए निर्माण भवन पहुंचा। इसमें 350 से अधिक प्रतिभागियों ने बेहतर स्वास्थ्य के लिए पैदल यात्रा में भाग लिया। इन्होंने जीवनशैली से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं, बीमारियों जैसे उच्च रक्तचाप को रोकने और नियंत्रित करने के लिए स्वस्थ और सक्रिय जीवन अपनाने का संकल्प लिया।

इस अवसर पर मांडविया ने कहा कि यह वसुधैव कुटुम्बकम का भारत का दर्शन है जहां हम सभी के लिए प्रगति के बारे में सोचते हैं। यह दर्शन कोविड संकट के दौरान देखा गया था, जब भारत ने बिना किसी व्यावसायिक लाभ के जरूरतमंद देशों को टीके और चिकित्सा की आपूर्ति की। भारत हर किसी की मदद करने में सबसे आगे रहा है और इसी भावना के साथ भारत अपने नागरिकों और दुनिया के स्वास्थ्य के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि केवल स्वस्थ नागरिक ही एक स्वस्थ समाज और बदले में एक
विकसित राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।

आंकड़ों के अनुसार एनसीडी वर्तमान में देश में सभी मौतों के 63 प्रतिशत से अधिक के लिए जिम्मेदार है। इनमें तंबाकू और शराब के उपयोग, खराब आहार की आदत, अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि और वायु प्रदूषण शामिल हैं। एनसीडी के विकास के लिए प्रमुख जोखिम कारण में एक शारीरिक निष्क्रियता है। राष्ट्रीय एनसीडी निगरानी सर्वेक्षण (एनएनएमएस) (2017-18) के अनुसार भी, 41.3 प्रतिशत भारतीय शारीरिक रूप से निष्क्रिय हैं। शारीरिक गतिविधि न केवल कार्डियोवैस्कुलर बीमारी, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, कैंसर इत्यादि सहित एनसीडी के जोखिम को कम करती है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालती है‌
और डिमेंशिया की शुरुआत में देरी करती है।

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