वृंदावन, नवसत्ताः श्रीकृष्ण-राधारानी की क्रीड़ास्थली वृंदावन का करीब 450 साल पुराना मंदिर में श्रीकृष्ण ने महाकवि गोस्वामी तुलसीदास को धनुष-बाण धारण करके भगवान श्रीराम के रूप में दर्शन दिए थे। पुरानी शिल्पकला और अलौकिक वातावरण से ओत-प्रोत यह मंदिर ज्ञान गुदड़ी क्षेत्र में स्थित है। जहां तुलसीदास और भक्तमाल के रचयिता संत शिरोमणि नाभा का मिलन भी हुआ था।
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, जब गोस्वामी तुलसीदास यहां आए थे, तब ये मंदिर भगवान श्रीकृष्ण का ही होता था। गोस्वामी तुलसीदास ब्रज की यात्रा करते हुए वृंदावन आए थे यहां हरेक ओर सिर्फ राधे-राधे की रट सुनकर उन्हें लगा कि यहां के लोगों में भगवान राम के प्रति उतनी भक्ति नहीं है।
इस पर उनके मुख से दोहा निकला ‘राधा-राधा रटत हैं, आम ढाक अरु कैर। तुलसी या ब्रज भूमि में कहा, राम सौं बैर’। इसके बाद वह ज्ञान गुदड़ी स्थित श्रीकृष्ण मंदिर पहुंचे और भगवान कृष्ण के श्रीविग्रह के सम्मुख नतमस्तक हुए। मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने भक्त की इच्छा के अनुरूप धनुष-बाण धारण करके भगवान श्री राम के रूप में दर्शन दिए।” तब यह स्थल तुलसी रामदर्शन स्थल के नाम से जाना जाने लगा। यहां भगवान कृष्ण, राधारानी के साथ विराजमान हैं और पीछे धनुष बाण लिए भगवान राम की मूर्ति शोभायमान है।”
इससे तीन वर्ष पहले वह ब्रज यात्रा कर चुके थे। इसका प्रमाण उनके द्वारा रचित कृष्णपदावली में है। तुलसीराम दर्शन स्थल में प्रवेश करते ही दायीं तरफ पत्थर निर्मित एक कुटिया नजर आती है। इसके बाद अंदर बड़ा आंगन है और उसके बाद वह स्थान जिसकी वजह से इसका नाम तुलसी राम दर्शन स्थल हुआ। इस कुटिया के बारे में कहा जाता है कि यहां तुलसीदास ने साधना की थी।