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उमेश पाल अपहरण मामले में अतीक दोषी करारः भाई अशरफ हुआ बरी, ढाई बजे होगा सजा का ऐलान

लखनऊ,नवसत्ताः उमेश पाल अपहरण मामले में प्रयागराज के माफिया अतीक अहमद को दोषी करार दिया गया है। अतीक के साथ 3 अन्य आरोपियों दिनेश पासी और खान शौकत हनीफ को भी दोषी करार दिया गया है। इसके साथ ही अतीक के भाई अशरफ समेत 7 लोगों को कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है। अतीक, अशरफ और फरहान को मंगलवार को प्रयागराज के एमपी-एमएलए कोर्ट में अतीक को पेश किया गया था। एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में दिनेश चंद्र शुक्ला की कोर्ट में मामले में अहम सुनवाई हुई। अतीक के साथ ऐसा पहली बार है, जब उसे किसी मामले में दोषी ठहराया गया है। उसके ऊपर 100 से ज्यादा केस थे लेकिन अभी तक किसी भी मुकदमे में उसे दोषी नहीं ठहराया गया था। पेशी के दौरान वकीलों अतीक को फांसी दो के नारे भी लगाए।

क्या है पूरा मामला?
बीएसपी विधायक राजू पाल मर्डर केस में मुख्य गवाह उमेश पाल से जुड़े हुए मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाया है। इस केस में आरोप था कि 28 फरवरी 2006 को अतीक अहमद और अशरफ ने उमेश पाल का अपहरण कराया था। उमेश पाल को मारपीट करने के बाद परिवार समेत जान से मारने की धमकी देते हुए कोर्ट में जबरन हलफनामा दाखिल कराया गया। 2007 में मायावती की सरकार बनने के बाद उमेश पाल ने  पांच जुलाई 2007 को अतीक और अशरफ समेत 5 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई गई थी।

पुलिस की जांच में छह अन्य लोगों के नाम सामने आए। कोर्ट में अतीक और अशरफ समेत 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। 2009 से मुकदमे का ट्रायल शुरू हुआ। अभियोजन यानी सरकारी पक्ष से कुल 8 गवाह पेश किए गए। इस केस के 11 आरोपियों में से अंसार बाबा नाम के आरोपी की मौत हो चुकी है।

जूतों की माला लेकर पहुंचा वकील
वरुण देव पाल नाम का एक वकील प्रयागराज एमपी-एमएलए कोर्ट के बाहर जूतों की माला लेकर पहुंचा। उन्होंने कहा कि अगर मैं अतीक अहमद को जूतों की माला पहनाऊंगा तो पाल समुदाय और पूरा वकील समुदाय खुश होगा। अतीक ने वकील समुदाय के एक सदस्य (उमेश पाल) को मार डाला। वे लोग खुश होंगे कि अतीक जूतों की माला पहनकर सजा सुनने आया है। पाल ने बताया कि ये उमेश पाल और राजू पाल के परिवार के सदस्यों के जूते हैं।

सुप्रीम कोर्ट से लगा अतीक को झटका
सुप्रीम कोर्ट ने अतीक अहमद को कोर्ट में न पेश किए जाने को लेकर दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है। अतीक की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी कि उसे जान को खतरा है, इसलिए यूपी की प्रयागराज की कोर्ट में उसे पेश होने से रियायत दी जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है और कहा कि सुरक्षा राज्य सरकार का मसला है और वह इस मामले को लेकर हाई कोर्ट जाएं।

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