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यूपी बिजली हड़तालः 650 आउटसोर्सिंग संविदाकर्मियों की सेवा हुई समाप्त

लखनऊ,नवसत्ताः उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से सरकार के साथ आम आदमी की परेशानी बढ़ गई है। सरकार ने हड़ताल से निपटने के लिए आउटसोर्सिंग और संविदा पर प्रदेशभर में तैनात करीब 650 आउटसोर्सिंग संविदाकर्मियों की सेवा समाप्त कर दी है। जिसमें पूर्वांचल विधुत वितरण निगम के 242 कर्मियों पर हुई कार्यवाही हुई है। जबकि मध्यांचल वितरण निगम के 110 कर्मियों और पश्चिमांचल में 60 तथा दक्षिणांचल 38 कर्मचारियों पर कार्यवाही हुई है। दूसरी तरफ सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अराजकता फैलाने वाले बिजली कर्मी सूचीबद्ध होंगे और बिजली फीडर बन्द करने वालो पर होगी कार्यवाही होगी। इसके साथ ही ऊर्जा मंत्री ने कहा कि लाइन में फाल्ट किया तो आकाश पाताल से ढूंढ निकालेंगे और उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे। प्रदेश की सात एजेंसियें पर कर्मचारी उपस्थित नहीं करा पाने के कारण केस किया गया है। साथ ही भविष्य में ये एजेंसियां निगम में काम नहीं सगेंगी। संगठन के नेताओ को जमानती वारंट भी जारी किया गया है।

पूर्वांचल, पश्चिमांचल, दक्षिणांचल और मध्यांचल समेत केस्को और नोएडा पावर कंपनी में कर्मचारियों की हड़ताल का असर अब बढ़ रहा है। प्रदेश में कई जिले ऐसे हैं, जहां 80 प्रतिशत बिजली आपूर्ति बाधित हो चुकी है। वजह है फॉल्ट को ठीक नहीं किया जा रहा है। लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, मेरठ, आगरा और बरेली समेत कई शहरों में पहले दिन ही जबरदस्त संकट पैदा हो गया।

हाईकोर्ट और ऊर्जामंत्री का नहीं दिख रहा है भय
23 साल बाद उत्तर प्रदेश में हो रही हड़ताल का असर साफ तौर पर प्रदेश की जनता पर पड़ रहा है। हड़ताल कर रहे बिजली कर्मचारियों को हाईकोर्ट ने लताड़ लगाई है। हाईकोर्ट ने विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे समेत कई नेताओं को सोमवार को कोर्ट में तलब किया है। वहीं ऊर्जा मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एस्मा के तहत कार्रवाई करने, रासुका लगाने और हड़ताल मेंशामिल कर्मचारियों को पाताल से खोदकर कार्रवाई करने तक की धमकी दी है। इसके बावजूद कर्मचारियों पर असर नहीं दिख रहा है। बिजली कर्मचारियों ने अपने मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर लिए हैं और अपने को काम से पूरी तरह अलग कर रखा है। यही वजह है बिजली आपूर्ति दुरुस्त रख पाना ऊर्जामंत्री और पावर कारपोरेशन प्रबंधन के वश से बाहर हो गया है।

कर्मचारियों ने जारी की अपील
सभी सम्मानित जनप्रतिनिधियों एवं उपभोक्ता बंधुओं को अवगत कराना है कि दिनांक 03 दिसंबर 2022 को मा0 ऊर्जा मंत्री की उपस्थिति में, उत्तर प्रदेश ऊर्जा प्रबंधन एवं संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के बीच 14 मांगों पर सहमति बनी और मा0 ऊर्जा मंत्री द्वारा, इसके क्रियान्वित हेतु 15 दिन का समय मांगा तो आंदोलन को स्थगित कर दिया और आम जनता को दिक्कत न हो इसलिए शिफ्ट की ड्यूटी याने जो लोग 4 लाख 40 हजार का करंट 220 वोल्ट का बना कर आपके घर तक पहुंचने की ड्यूटी में लगे रहते है उनको दूर रखा ..धीरे-धीरे दिन बीतते रहे ..संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा सहमति पत्र को क्रियान्वित कराने हेतु पत्र के माध्यम से बार-बार अनुस्मारक भेजा गया.. याद दिलाया गया की समझौता लागू करो परंतु शीर्ष ऊर्जा प्रबंधन द्वारा इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। फिर संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों द्वारा यह अवगत कराया गया कि अगर उक्त 14 मांगों, जिन पर सहमति बनी है, को क्रियान्वित नहीं किया गया तो पहले मसाल जुलूस, कार्य बहिष्कार औऱ उसके बाद सांकेतिक रूप से 72 घंटे का हड़ताल किया जाएगा। फिर भी ऊर्जा प्रबंधन द्वारा इसे नजरअंदाज किया गया। जिसका परिणाम आज देखा जा रहा है।  यह हड़ताल सिर्फ ऊर्जा प्रबंधन की हठधर्मिता के कारण हुआ है ना कि कर्मचारियों का दोष है। हम कर्मचारियों का ऐसा कोई भी उद्देश्य नहीं था कि हम आम जनता की परेशानी का सबब बने। हम लोग हमेशा से आम जनता की विद्युत आपूर्ति सुचारू रूप से चलती रहे, इसके लिए तत्पर रहते हैं, परंतु शीर्ष ऊर्जा प्रबंधन का सहयोग नहीं मिल पाया। जिसका नतीजा यह रहा की 23 साल बाद आज हड़ताल की नौबत आ गई।

सभी पीड़ित विद्युतकर्मी

 

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