नीरज श्रीवास्तव
नवसत्ता,लखनऊः अपनी कम्पनियों से ज्यादा कलैण्डर को लेकर चर्चित विजय माल्या की गिनती कभी देश के प्रमुख उद्योगपतियों में होती थी। दो बार राज्य सभा सांसद रहे माल्या सात साल पहले देश के 17 बैंको का 9 हजार करोड़ लेकर लंदन फरार हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अवमानना के मामले में चार माह की सजा भी सुनाई है,परन्तु अब तक न तो बैंको के पैसे वापस मिल सके हैं और न ही उसका प्रत्यर्पण हो सका है। बैंको ने भी माल्या को विलफुल डिफाल्टर घोषित कर उनके कर्ज को एनपीए में डाल दिया है।
हैरत की बात यह है कि सात साल पहले देश छोड़कर फरार हुए विजय माल्या को अभी तक केन्द्र सरकार ब्रिटेन से प्रत्यर्पण नहीं करा सकी है जबकि बीते साल जुलाई माह में सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के एक मामले में विजय माल्या को चार माह की सजा भी सुनाई थी।
राजा से रंक बनने का सफर
विजय माल्या मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई कोलकाता में हुई। विजय माल्या के पिता विट्टल माल्या एक बड़े कारोबारी थे और उनकी मौत के बाद विजय माल्या ने 28 साल की उम्र में यूनाइटेड ब्रुअरीज ग्रुप का काम संभाला था। इस ग्रुप ने काफी तरक्की की और 15 साल में ही इसका वार्षिक टर्नओवर 64 फीसद बढ़ गया था। विजय माल्या की कंपनी की किंगफिशर बियर का एक वक्त में भारत में 50 फीसद से ज्यादा मार्केट शेयर था और यह 52 देशों में मिलती है।
माल्या ने साल 2005 में किंगफिशर एयरलाइंस की स्थापना की थी लेकिन यह घाटे का शिकार हो गई और इसे बंद करना पड़ा। विजय माल्या ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव भारत जनता दल के सदस्य रहे हैं और साल 2003 में वह सुब्रमण्यम स्वामी की जनता पार्टी में शामिल हुए थे। वह 2010 तक इसके राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे।
विजय माल्या साल 2002 और 2010 में दो बार कर्नाटक से राज्यसभा सांसद भी रहे। 2002 में वह जनता दल सेक्युलर और कांग्रेस के सहयोग से जबकि 2010 में जनता दल सेक्युलर और बीजेपी के सहयोग से राज्यसभा के सांसद रहे। एक वक्त में उन्हें किंग ऑफ गुड टाइम्स कहा जाता था और ऐसा उनकी जबरदस्त जीवनशैली की वजह से था।
इस मशहूर शराब कारोबारी ने अपने सम्पर्कों के जरिये स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सहित देश के 17 बैंकों से 9,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। एयरलाइंस के घाटे में जाने के बाद माल्या कर्ज नहीं चुका पा रहे थे और बैंकों की ओर से दबाव बढ़ने पर माल्या मार्च 2016 में देश छोड़कर लंदन फरार हो गया। विजय माल्या को भारत लाए जाने की कोशिश भी सरकार कई बार कर चुकी है परन्तु उसे अभी तक इसमें कामयाबी हाथ नहीं लगी है।
बैंकों ने भी माल्या को विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है। माल्या के साथ उनकी होल्डिंग कंपनी यूनाइटेड ब्रेवरीज होल्डिंग्स और किंगफिशर एयरलाइन्स को भी विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया गया है। किंगफिशर एयरलाइन्स अक्टूबर 2012 से बंद पड़ी है।