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सपा ने की जातीय गोलबंदी के सहारे भाजपा से मुकाबले की तैयारी

शूद्र की नई परिभाषा में पिछड़ों को भी किया शामिल

नीरज श्रीवास्तव
लखनऊ,नवसत्ताः उत्तर प्रदेश का अगला चुनाव फिर जातीय गोलबंदी बनाम धर्म के नारे के साथ लड़ा जाएगा। समाजवादी पार्टी ने जिस तरह रामचरित मानस की एक चौपाई को लेकर भाजपा पर हमला बोला है उससे साफ है की सपा अपने जातीय एजेंडे को आगे रखकर पिछड़ी जातियों के साथ दलितों को लाने की भी रणनीति तैयार कर रही है। बसपा ने भी आज इस खतरे को भांपते हुए इस लड़ाई को भाजपा व सपा की मिलीभगत बताया है।

रामचरितमानस पर विवादित बयान देने वाले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को राष्ट्रीय महासचिव बनाकर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि वे प्रदेश में जातीय गोलबंदी को मजबूत करने की रणनीति पर ही आगे बढ़ेंगे। राजधानी लखनऊ में हिंदू संगठनों द्वारा एक मंदिर में प्रवेश से रोकने और काले झंडे दिखाए जाने के बाद अखिलेश यादव का नया बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सदन में पूछूंगा कि मैं शूद्र हूं कि नहीं हूं। इससे पहले भी उन्होंने कहा था कि बीजेपी और आरएसएस के लोग दलितों और पिछड़ों को शूद्र समझते हैं।

खुद को शूद्र कहकर दरअसल अखिलेश यादव एक तीर से दो निशाना लगा रहें हैं। एक तरफ वे इस मुद्दे को लेकर पिछड़ों के साथ दलितों को लाना चाहते हैं,वहीं दूसरी ओर वे भाजपा को दलित और पिछड़ा विरोधी साबित करना चाहते हैं। इसी रणनीति के तहत कभी उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने बसपा के साथ मिलकर प्रदेश में सरकार बनाई थी।

बसपा के कमजोर पड़ने के बाद प्रदेश में दलित वोटबैंक असमंजस में है। यही कारण है की अखिलेश पिछड़ों के साथ साथ दलितों को रिझाने के लिए रामचरित मानस की चौपाई का सहारा ले रहे हैं। आने वाले समय में इसमें संबूक वध सहित कई अन्य विवादित मुद्दे जोड़ने की सपा ने तैयारी कर ली है।

जातीय उभार होने से सीधे सीधे धर्म की राजनीति को नुकसान होता है यानी भाजपा को नुकसान होगा। यही कारण है की भाजपा इस मुद्दे पर अखिलेश यादव को हिंदू विरोधी बताने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। उधर इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखते हुए बसपा ने दोनो पार्टियों की मिलीभगत करार दिया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज ट्वीट कर समाजवादी पार्टी पर करारा प्रहार किया है। उन्होंने सपा का एक बार फिर वही राजनीतिक रंग रूप देखने को मिला है।

यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। मायावती ने माइक्रो ब्लागिंग साइट ट्वीटर पर लिखा है कि संकीर्ण राजनीतिक व चुनावी स्वार्थ हेतु नए-नए विवाद खड़ा करके जातीय व धार्मिक द्वेष, उन्माद-उत्तेजना व नफरत फैलाना, बायकाट कल्चर, धर्मान्तरण को लेकर उग्रता आदि भाजपा की राजनीतिक पहचान सर्वविदित है। लेकिन श्रीराम चरित मानस की आड़ में सपा का वही राजनीतिक रंग-रूप दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण है।

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