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भारत दौरे से पहले शेख हसीना ने वैक्सीन मैत्री पहल के लिए जताया आभार

नई दिल्ली,नवसत्ता: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना सोमवार से 4 दिवसीय भारत दौरे पर आ रही हैं. वह इस दौरान कई जगहों पर अलग-अलग कार्यक्रमों मे हिस्सा लेंगी. हसीना के इस दौरे से ठीक पहले उन्होंने एक इंटरव्यू में अपने भारत दौरे के महत्वपूर्ण उद्देश्यों को साझा किया है.

इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बांग्लादेश के लोगों के लिए वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा, मैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वैक्सीन मैत्री पहल के लिए धन्यवाद करती हूं. भारत ने सिर्फ बांग्लादेश ही नहीं दूसरे दक्षिण एशियाई देशों को भी वैक्सीन उपलब्ध कराई.

शेख हसीना ने विदेश नीति के मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि ‘हमारी विदेश नीति बहुत स्पष्ट है. सभी से मित्रता, किसी से भी द्वेष नहीं रखना, अगर चीन और भारत के बीच कोई समस्या है तो मैं उसमें नहीं पडऩा चाहती. मैं अपने देश का विकास चाहती हूं.

रोहिंग्या मुसलमानों को बताया बोझ

अपने इंटरव्यू के दौरान शेख हसीना ने रोहिंग्या मुस्लिम को देश के लिए एक बोझ बताया है. उन्होंने कहा कि दस लाख से अधिक रोहिंग्या प्रवासी बांग्लादेश पर बड़ा बोझ हैं. उन्होंने कहा, हम अंतरराष्ट्रीय समुदायों और अपने पड़ोसी देशों के साथ परामर्श कर रहे हैं. जिससे रोहिंग्या घर वापस जा सकें. हम रोहिंग्याओं को आश्रय दे रहे हैं, सभी चीज उपलब्ध करा रहे हैं. लेकिन सवाल यह है कि वे यहां कब तक रहेंगे. कुछ लोग ड्रग्स की तस्करी, महिला तस्करी में लिप्त हैं. वे जितनी जल्दी अपने घर वापस जाएं वो हमारे देश के लिए और म्यामांर के लिए अच्छा है. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि इस मुद्दे पर भारत प्रमुख भूमिका निभा सकता है.

भारत को और उदारता दिखानी चाहिए: शेख हसीना

शेख हसीना ने भारत-बांग्लादेश जल-बंटवारे को लेकर विवाद पर कहा कि भारत-बांग्लादेश जल-बंटवारे को लेकर चल रहे विवाद पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने कहा, हम नीचे की ओर स्थित हैं, पानी भारत से आ रहा है. इसलिए भारत को और उदारता दिखानी चाहिए. इससे दोनों देश लाभान्वित होंगे. कभी-कभी हमारे लोगों को बहुत नुकसान होता है, खासकर तीस्ता नदी के चलते.

1975 में भारत ने हमें आश्रय दिया था: शेख हसीना

अपने पुराने दिनों को याद करते हुए शेख हसीना ने कहा कि उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद वह कई दिनों तक अपनी पहचान छिपाकर भारत की राजधानी दिल्ली के पंडारा रोड पर अपने बच्चों के साथ रह रही थीं. 1975 में जब मैंने अपने परिवार के सभी सदस्यों को खो दिया था, तब तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री ने हमें भारत में आश्रय दिया था.

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