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Azamgarh seat: कांटे की टक्कर, सभी बने घनचक्कर

आजमगढ़ सीट पर फिलहाल त्रिकोणीय मुकाबला

तीनों दल लगा रहे पूरा दम, दिग्गजों ने डाला डेरा

राजकुमार सिंह

आजमगढ़, नवसत्ता : सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के इस्तीफे से खाली हुई आजमगढ़ लोकसभा सीट पर हो रहे उप चुनाव में तीनों प्रमुख दलों ने अपनी ताकत झोंक दी है. एक हफ्ते बाद ही 23 जून को  इस लोकसभा क्षेत्र से अपना  नया सांसद चुनने के लिए मतदाता ईवीएम का बटन दबाएंगे.

भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ को संसद पहुंचाने के लिए भोजपुरी सिनेमा के कई स्टार प्रचार  कर रहे हैं. पिछले दो दिन से योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर व गिरीश यादव ने भी डेरा डाल दिया है. इस संसदीय क्षेत्र में पिछड़े वर्ग के वोटरों की तादाद सबसे अधिक है. शायद इसीलिए भाजपा ने इन दोनों मंत्रियों को लगाया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी जनसभा करेंगे.

सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव भी अपने भतीजे पूर्व सांसद धर्मेन्द्र यादव को जिताने के लिये प्रचार कर रहे है. अखिलेश यादव तो लगातार यह दावा कर रहे हैं कि इस सीट पर सपा उम्मीदवार की रिकार्ड मतों से जीत होगी. इसमें कोई संशय नहीं है.

बसपा के प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली भी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं. उनका दावा है कि मुसलमान व दलित बहुजन समाज पार्टी के साथ हैं. दरअसल शाह आलम आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र के मुबारकपुर विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं. 2014 के लोकसभा आम चुनाव में भी जमाली आजमगढ़ सीट से सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के मुकाबिल बसपा के टिकट पर मैदान में थे. इस चुनाव में गुड्डू जमाली को ढाई लाख से अधिक मत मिले थे.

2019 के लोकसभा चुनाव में सपा बसपा का गठबंधन था. इसलिए अखिलेश यादव को बसपा के भी वोट मिले थे. इस बार ये दोनों दल आमने सामने है. वोटो का बिखराव होगा. इसका लाभ बसपा के साथ भाजपा को भी मिल सकता है. अभी जो स्थिति है उससे तो अंदाजा लगाना मुश्किल है कि तीनों में से कौन बाजी मरेगा.

सारा खेल जातीय समीकरण का है. आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में गोपालपुर, सगड़ी, आजमगढ़ सदर, मुबारकपुर और मेहनगर पांच विधानसभा सीटें हैं. इन सभी क्षेत्रों में 19 लाख वोटर हैं. इनमे से 18 फीसदी यादव, 18 फीसदी गैर यादव ओबीसी, 20 फ़ीसदी दलित, 20 फीसदी मुस्लिम तथा 24 फ़ीसदी सवर्ण मतदाता हैं.

जातीय समीकरण देखें तो मामला काफी उलझा हुआ है. लड़ाई कांटे की है. तीनों ही दल के प्रत्याशी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. इस सीट से लोकसभा कौन पहुंचेगा. इसका फैसला तो 26 को होगा. जब जनता का निर्णय एटीएम से बाहर आएगा.

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