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इस बार इफ्तार की मेजबानी से कतरा रहे अखिलेश!

अखिलेश, पार्टी के मुस्लिम नेताओं की नाराजगी से नहीं ले रहे फैसला

लखनऊ,नवसत्ता: उत्तर प्रदेश में रमजान के दौरान सियासी इफ्तार की धूम रहती है. लगभग सभी राजनीतिक दल इफ्तार पार्टी आयोजित करते रहे हैं. इसके अलावा सभी पार्टियों के नेता अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में रोजा इफ्तार का आयोजन करते हैं. यूपी से सटे बिहार में भी सियासी इफ्तार का आयोजन हो रहा है, लेकिन यूपी इस बार समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव इफ्तार की मेजबानी करने के कतरा रहे हैं.

विधानसभा चुनावों में सपा को मिली करारी शिकस्त के बाद पार्टी में मुस्लिम नेताओं की नाराजगी को इसकी वजह बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि इफ्तार का आयोजन करने के नाराज मुस्लिम नेताओं को एक साथ मिलने बैठने का मौका मिलेगा तो अखलेश यादव के खिलाफ नाराज नेताओं की संख्या बढ़ सकती है. इसलिए ऐसा आयोजन करने से अभी बचा जाए. इसके चलते सपा मुखिया ने अभी तक इफ्तार के आयोजन का दिन तय नहीं किया है.

फ़िलहाल अब सपा की इफ्तार पार्टी कब होगी? इसे लेकर सपा से जुड़े मुस्लिम समाज के लोगों में उत्सुकता है, क्योंकि वर्षों से सपा भव्य पैमाने पर इफ्तार पार्टी का आयोजन करती रही है. परन्तु इस बार बदले राजनीतिक माहौल में सपा मुखिया अखिलेश यादव इफ्तार के आयोजनों में जा तो रहे हैं लेकिन उनकी तरफ से इफ्तार का आयोजन कब होगा? इसके लेकर उन्होंने ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है. इस वजह से तरह तरह की राजनीतिक अटकलें लगाई जाने लगी हैं?

सवाल पूछा जा रहा है कि क्या अखिलेश समाजवादी पार्टी पर लगे मुस्लिम-यादव पार्टी होने के ठप्पा को खत्म करना चाहते हैं. इसीलिए वह ढ़ाई साल से जेल में बंद आजम खान से मिलने नहीं जा रहे हैं. और ना ही आजम खान के पक्ष में बोल रहे पार्टी के मुस्लिम नेताओं के उठाए गए सवालों का जवाब दे रहे हैं. जबकि पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क और आजम खान के करीबी फसाहत अली खां ने आरोप लगाया है कि सपा में मुस्लिम नेताओं और मुस्लिम समाज की अनदेखी की जा रही है.

ऐसे आरोपों के चलते ही अब यह सवाल भी उठा है कि क्या अखिलेश यादव पार्टी में वर्षों से चलती आ रही इफ्तार के आयोजन की प्रथा को बंद करने की सोच रहे हैं. पार्टी की स्थापना के बाद से ही पार्टी के मुखिया रहे मुलायम सिंह यादव इफ्तार का आयोजन पार्टी मुख्यालय में करते रहे हैं. ऐसे आयोजनों में विभिन्न दलों के मुस्लिम नेताओं के अलावा लखनऊ के प्रतिष्ठित मुस्लिम मौलाना भी शामिल होते थे. अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने पर ऐसे आयोजनों का स्थल पार्टी मुख्यालय के बजाए ताज होटल हो गया.

सपा की अन्य विपक्षी दलों ने भी इफ्तार का आयोजन शुरू किया. बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने भी सत्ता में रहते हुए ताज होटल में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था, जिले अब उन्होंने बंद कर दिया है. फिलहाल पहले यूपी में इफ्तार एक सांकेतिक इशारा था. और अल्पसंख्यक समुदाय तक पहुँच बढ़ाने का तथा राजनीतिक दल इसमें एक बड़ा सन्देश देखते थे. लेकिन अब इफ्तार पार्टियों के आयोजन को लेकर सपा में जो सोच विचार हो रहा है उससे पता चलता है कि वक्त और राजनीतिक परिस्थितियां बदल गईं हैं.

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