राजकुमार सिंह राज सुल्तानपुर, नवसत्ताः जन स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के बड़े बड़े दावे किए जा रहे हैं. नेता से लेकर सभी अपनी अपनी पीठ थपथपा रहे हैं लेकिन हकीकत कुछ और ही है. प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टॉफ की कमी है. सफाई कर्मचारियों का भी टोटा है. जिससे इन अस्पतालों के वार्डों में काफी गंदगी है. आलम यह है कि मरीजों के साथ रहने वाले तीमारदारों की हालत भी मरीजों जैसी हो जाती है. हालांकि पहले की अपेक्षा सुधार तो आया है लेकिन हालात अभी भी काफी नाजुक हैं. सरकार को इलाज में बेहतरी के सब्जबाग दिखाने के साथ जमीनी हकीकत भी देखना होगा. शनिवार को नवसत्ता की टीम ने जिला अस्पताल (पुरूष) सुल्तानपुर का जायजा लिया तो कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला. दोपहर लगभग 12 बजे इमरजेंसी वार्ड में मरीजों व उनके परिजनों की भीड़ थी. कुछ नर्से सेवा में लगी हुई थी,लेकिन कोई भी डॉक्टर नहीँ था. बेड पर लेटे मरीज यही पूछ रहे थे कि डॉक्टर साहब कब आएंगे। शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर भादर गांव से आए 70 साल के बुजुर्ग रामआसरे इमरजेंसी वार्ड के बेड नम्बर 1 पर भर्ती थे. उनके 40साल के पुत्र रामतीरथ पिता की सेवा में लगे हुए थे. बेटे ने बताया कि पिताजी को डायरिया है। तीन दिन पहले भर्ती कराया था. अब हालत में सुधार है. यह पूछने पर की इलाज कायदे से हो रहा तो उन्होंने बड़े अनमने भाव से कहा कि सब ठीक है. सरकारी अस्पताल तो है ही. तभी कुछ दूर खड़ी सैफुल्लागंज से आई एक महिला चिल्लाने लगी कि यहां किसी को मरीजों की परवाह ही नहीँ. कोई मरे या जिये. उसने कहा कि मेरा मरीज तड़प रहा है. डॉक्टर का पता ही नहीं है,पता नही कब देखेंगे. देखिए मेरे बेटे की तबीयत बिगड़ती जा रही है। यह कहकर वह फफक पड़ी। एक नर्स ने उसको ढांढस बंधाया. जन से दूर जनऔषधि केन्द्रआम लोगों को सस्ते दर पर जेनेरिक दवाएं मुहैया कराने के लिये इस अस्पताल में जन औषधि केन्द्र है. इस केंद्र की खिड़की पर एक दो लोग ही दिखे. जयसिंहपुर क्षेत्र से आये अमर सिंह ने बताया कि डॉक्टर जो दवा पर्चे पर लिखते हैं उनमें एकाध दवाएं ही इस केंद्र पर मिलती हैं. तमाम मरीजों को टी एक भी नही मिलती. इसलिए लोग मेडिकल स्टोर पर चले जाते हैं. डॉक्टरों की है भारी कमीसुल्तानपुर जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर एससी कौशल ने बताया कि अस्पताल में 34 डॉक्टरों के पद सृजित है लेकिन इस समय केवल 24 डॉक्टर ही तैनात है. डॉक्टरों के पद कई सालों से खाली हैं. उन्होंने बताया कि नाक कान व गला का पिछले कई सालों से कोई डॉक्टर ही नहीं है. कई विभाग में डॉक्टर नहीं है। ओपीपडी चलाने के सीएमओ डॉक्टर की व्यवस्था करते हैं. अस्पताल में कोई कार्डियोलॉजिस्ट भी नही है. 34 की जगह 16 स्टॉफ नर्सअधीक्षक ने बताया कि इस अस्पताल में स्टॉफ नर्स के 34 पद है 16 की ही तैनाती हो पाई है. ईसीजी करने के लिये कोई तकनीशियन भी नही है. पैरामेडिकल स्टॉफ के कई और पद भी खाली पड़े हैं. केवल एक इमरजेंसी मेडिकल अफसरजिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर एस के गोयल कहते हैं कि 226 बेड के इस अस्पताल में ईएमओ के चार पद हैं. लेकिन तीन पद खाली पड़े है. 24 घन्टे की सेवा के लिये दूसरे डॉक्टरों को लगाया जाता है. इससे ओपीडी व अन्य सेवाएं प्रभावित होती हैं.
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