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क्या वाकई कांग्रेस बदल गई है!

नीरज श्रीवास्तव

लखनऊ,नवसत्ताः क्या वाकई कांग्रेस बदल गई है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने कल जब कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन की तो उन्होंने कहा कि 32 साल जिस पार्टी में रहा वह अब पहले वाली पार्टी नहीं रह गई है। आखिर ऐसे क्या बदलाव हो रहे हैं कांग्रेस में कि उसके पुराने नेता एक के बाद एक पार्टी छोड़ रहे हैं। हालांकि पार्टी की ओर से कहा गया कि वो जो लड़ाई लड़ रही है उसे कायर लोग नहीं लड़ सकते।

जिस परिवार वाद को लेकर कांग्रेस पर लगातार हमले होते रहे हैं अब वही परिवारवादी भाजपा के खेवनहार बन रहे हैं फिर चाहे वो ज्योतिरादित्य सिंधिया हों,जितिन प्रसाद या फिर आज भाजपा में शामिल हुए आरपीएन सिंह। इन सबके पिता कांग्रेस में न केवल मंत्री रहे बल्कि अपने समय में संगठन में भी उनकी मजबूत पकड़ रही है। इन नेता पुत्रों को भी मंत्री पद व संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली। परन्तु बीते दो वर्षों में पार्टी में हो रहे बदलाव के कारण इनके साथ-साथ उन नेताओं को भी कांग्रेस में बेचैनी महसूस हो रही है जो कहीं न कहीं जमीनी संघर्ष से अभी तक बचते आ रहे थे।

इसके उलट आज यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू हैं जिनकी पहचान ही सड़क पर संघर्ष कर बनी है। छात्रसंघ आंदोलन से निकले कन्हैया कुमार को पार्टी ने यूपी चुनाव के लिए स्टार प्रचारक बनाया है। पंजाब चुनाव के बाद वहां के पहले दलित मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी को यूपी में भी सघन जनसम्पर्क कराने का प्लान है। चन्नी के जरिये कांग्रेस दलितों को यह संदेश देना चाहती है कि सही मायने में उनका सम्मान इसी पार्टी में है।

बदलाव के पीछे प्रियंका

बीते लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने यूपी में कांग्रेस को मजबूत करने की जिम्मेदारी प्रियंका गांधी को सौंपी थी। इन दो सालों में जमीनी संघर्ष और आंदोलनों से जुड़े लोगों को पार्टी में शामिल कराने के साथ ही प्रियंका ने अपना सारा ध्यान कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण पर लगाया। हर महीने कार्यकताओं को जनता के बीच जाने के कार्यक्रम दिये गये जिसे कद्दावर नेताओं का सहयोग तो नहीं मिला परन्तु इन कार्यक्रमों के कारण सुषुप्तावस्था में चल रही कांग्रेस को प्रदेश में गंभीरता से लिया जाने लगा।

लखीमपुर में किसानों के कुचलने की घटना के बाद जिस तेजी से प्रियंका गांधी ने किसानों की आवाज उठायी और उन्हें अस्थायी जेल में रहना पड़ा उससे मजबूत विपक्ष के तौैर पर पार्टी को लिया जाने लगा। चुनाव पूर्व जिस तरह जाति के बजाय कांग्रेस ने महिला सशक्तीकरण का मुद्दा बनाकर एक नई तरह की राजनीति शुरू की उससे साफ हो गया कि अब पार्टी जनसरोकार से जुड़े के मुद्दों पर ही आगे की लड़ाई लड़ेगी।

प्रियंका के निजी सचिव संदीप सिंह भी निशाने पर

कांग्रेस में हो रहे बदलाव को लेकर सबसे ज्यादा निशाने पर प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह हैं। जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष संदीप सिंह पहले राहुल गांधी के राजनैतिक सलाहकार के रूप में पार्टी से जुड़े और जब प्रियंका गांधी को यूपी का प्रभारी सौंपा गया तो संदीप सिंह को उनका निजी सचिव बनाया गया। तभी से संदीप सिंह चर्चा में हैं।

पार्टी के पुराने नेता ही उनकी कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहे हैं जबकि संदीप सिंह के साथ के लोगों का कहना है कि सवाल उठाने वाले वही लोग हैं जो पार्टी के कार्यक्रमों में शामिल तक नहीं होते और पार्टी को अपनी निजी संपत्ति समझते हैं। बीते तीन दशकों में पार्टी की बदहाली के लिए संदीप सिंह तो जिम्मेदार नहीं है बल्कि उनके आने के बाद से पार्टी जमीनी स्तर तक लड़ती नजर आ रही है। इसका प्रमाण बीते दिनों प्रियंका गांधी की वाराणसी और गोरखपुर की रैली में उमड़ी भीड़ है। बूथ स्तर तक किये जा रहे मैनेजमंेट के भरोसे ही पार्टी जाने वाले नेताओं को मनाने के बजाय हमलावर है।

 

लड़ाई आसान नहीं

मंगलवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह के बीजेपी में शामिल होने पर राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिस लड़ाई को कांग्रेस लड़ रही है, यह एक मुश्किल लड़ाई है।
लगता कि कोई व्यक्ति कांग्रेस में रहकर बिल्कुल विपरीत विचारधारा वाली पार्टी में जा सकता है। शायद इसी को प्रियंका जी कायरता कहती हैं, कांग्रेस के सिपाहियों के आगे बड़ी लड़ाई है। कांग्रेस यह लड़ाई लड़ती आई है और आगे भी बढ़ेगी।

युुवा संसद के जरिये युवा वोटरों पर नजर

महिलाओं के बाद अब युवाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए ‘‘भर्ती विधान युवा घोषणा पत्र’’ लाया गया है। चुनाव आयोग की नई गाइडलाइन आने के बाद विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी को लेकर युवाओं के बीच जागरूकता के लिए युवा संसद (टाउन हॉल मीटिंग) का आयोजन करेगी।

इस बारे में जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी महासचिव (संगठन) दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि युवा संसद (टाउन हॉल मीटिंग) में 28 जनवरी को आगरा में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, 29 जनवरी को इलाहबाद में हार्दिक पटेल, 30 जनवरी को वाराणसी में हार्दिक पटेल, 31 जनवरी को मेरठ में अलका लांबा, 1 जनवरी को लखनऊ में कन्हैया कुमार और 3 फरवरी को कानपुर में इमरान प्रतापगढ़ी युवाओं के लिए जारी प्रतीज्ञा पत्र, युवा विधान के अलावा शिक्षा और रोजगार पर चर्चा करेंगे। इन जगहों पर आयोजित कार्यक्रमों में युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.वी श्रीनिवास और एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन उपस्थित रहेंगे।

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