नई दिल्ली,नवसत्ता: हफ्ते के पहले दिन भी शेयर बाजार में गिरावट का ट्रेंड जारी है. सेंसेक्स अब 1200 अंक या 2 फीसदी टूटकर 57,855.76 के स्तर आ गया है. वहीं, निफ्टी 400 अंक फिसलकर 17261 के स्तर पर है.
आईटी, मेटल, ऑटो, फार्मा और रियल्टी समेत सभी सेक्टर्स में बिकवाली से बाजार दबाव बना है. बाजार में भारी गिरावट से निवेशकों को तगड़ा झटका लगा है. उनकी दौलत 5.28 लाख करोड़ रुपये घट गई है. आज के कारोबार में सभी सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में ट्रेड कर रहे हैं. सबसे ज्यादा गिरावट आईटी, मेटल, रियल्टी और ऑटो इंडेक्स में है. ये 2 फीसदी से ज्यादा टूटे हैं.
शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स में सबसे ज्यादा गिरावट बजाज फाइनेंस में 3.75 फीसदी दर्ज की गई है. इसके अलावा, विप्रो, टेक महिंद्रा, एशियन पेंट्स, इंफोसिस, एचसीएल टेक, कोटक महिंद्रा बैंक में गिरावट है. दूसरी ओर, सन फार्मा, भारती एयरटेल, इंडसइंड बैंक, आईसीआईसीआई बैक, एनटीपीसी में तेजी का रुख है.
5 दिन में निवेशकों के डूबे 15 लाख करोड़ रुपये
शेयर बाजार में गिरावट का यह ट्रेंड पिछले 5 दिन से जारी है. आज बाजार में हुई गिरावट 5 दिन में सबसे ज्यादा है. बाजार में गिरावट से निवेशकों को बड़ा झटका लगा है. उनकी दौलत 15 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा घट गई है. अकेले सोमवार को निवेशकों को 5.30 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा नुकसान हुआ है. शुक्रवार को बीएसई लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप 2,69,65,801.54 करोड़ रुपये था, जो आज 5,31,576.05 करोड़ रुपये घटकर 2,64,34,225.49 करोड़ रुपये हो गई.
आपको बता दें कि बीते सप्ताह सेंसेक्स 2,185.85 अंक या 3.57 फीसदी नीचे आया. वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 638.60 अंक या 3.49 फीसदी के नुकसान में रहा. शेयर बाजारों में जोरदार गिरावट के बीच देश की शीर्ष 10 कंपनियों का बाजार पूंजीकरण सामूहिक रूप से 2,53,394.63 करोड़ रुपए घट गया.
इकोनॉमिक सर्वे में ग्रोथ रेट का अनुमान 9प्रतिशत रहने का अनुमान
वित्त मंत्रालय के 2021-22 के लिए इकोनॉमिक सर्वे सिंगल वॉल्यूम में लेकर आने की उम्मीद है, जिसमें अगले वित्त वर्ष के लिए करीब 9 फीसदी की ग्रोथ का अनुमान किया जाएगा. एनएसओ के एडवांस आकलनों के मुताबिक, अर्थव्यवस्था के मौजूदा तिमाही में 9.2 फीसदी की ग्रोथ दर्ज करने की उम्मीद है. यह भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किए गए 9.5 फीसदी के अनुमान के मुकाबले थोड़ी कम है.
कोरोना महामारी के फैलने और उसके बाद वायरस को काबू में करने के लिए लगाए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की वजह से, अर्थव्यवस्था में 2020-21 के दौरान 7.3 फीसदी की गिरावट देखी गई है. अर्थव्यवस्था पर वायरस का असर मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान तुलनात्मक तौर पर कम रहा है, क्योंकि लॉकडाउन स्थानीय स्तर पर रहे हैं और इससे आर्थिक गतिविधियों में कोई बड़े स्तर की रूकावट नहीं आई है.