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यूपी से शुरू हुआ महिलाओं को बराबरी का मुद्दा पूरे देश में जाएगाः प्रियंका गांधी

फेसबुक लाइव में बोलीं कांग्रेस महासचिव मानवीय संवेदनाओं को बचाना आज की जरूरत

संवाददाता

लखनऊ,नवसत्ता: वर्तमान राजनीति में आरोप और प्रत्यारोप का बोलबाला बढ़ता जा रहा है, जिसकी वजह से वास्तविक मुद्दे और मानवीय संवेदनाओं की जगह कम होती जा रही है। ऐसे में यदि किसी भी राजनीतिक नेता द्वारा संवेदनशीलता का परिचय देना लोगों के बीच उनकी छाप छोड़ जाता है। आज फेसबुक लाइव के जरिये प्रियंका गांधी ने सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यूपी से शुरू हुआ महिलाओं को बराबरी का मुद्दा पूरे देश में जाएगा।

राजनीति के बीच आम लोगों से भावनात्मक रिश्ते के तार जोड़ना कठिन है क्योंकि ऐसे व्यवहार मे हमेशा राजनीति ही देखी जाती है। मानवीय और पारिवारिक रिश्तों की संवेदना को बखूबी समझने मे काँग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का उदाहारण दिया जाता है। न केवल एक महिला होने के नाते बल्कि अपने स्वभाव से ही उनके संवेदनशील होने का परिचय हाल की कुछ घटनाओं मे देखने को मिला।
प्रियंका गांधी वाड्रा सरकार के खिलाफ लगातार हमलावर रही हैं। उन्होंने प्रदेश में विधानसभा चुनाव की बागडोर अपने हाथ में संभाल रखी है। लखीमपुर खीरी कांड से लेकर अन्य तमाम विवादों के समय में प्रियंका ने पार्टी को आगे बढ़कर नेतृत्व प्रदान किया।
अपने संवेदनशील व्यवहार का एक और परिचय देते हुए प्रियंका गांधी ने अपने अत्यंत सफल “लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ” मैराथॉन का आयोजन कोविड संक्रमण फैलने की आशंका मे 5 जनवरी को ही रोक दिया, जबकि उस दिन तक इस दिशा मे कोई आदेश नहीं आए थे। यह सफल मैराथॉन झांसी, बरेली व लखनऊ मे आयोजित हो चुके थे और वाराणसी, नोएडा व अन्य जिलों मे आने वाले दिनों मे प्रस्तावित थे। पार्टी नेताओं का कहना था कि प्रियंका छात्राओं व बच्चों के स्वास्थ्य के विषय मे कोई भी खतरा नहीं मोल लेना चाहती हैं।
एक अन्य उदहारण कुछ समय पहले देखने को मिला जब किसान आंदोलन के दौरान हुई घटनाओं मे प्रियंका गांधी वाड्रा लखीमपुर खीरी के तिकोनिया कांड में मृत स्व. दलजीत सिंह के परिवार से उनके गाँव मिलने गईं। उनकी पत्नी व बेटी को आवश्यकता पड़ने पर संवाद के लिए अपना वाट्सएप नंबर तो दिया ही, कानूनी लड़ाई के साथ शिक्षा और जीविकोपार्जन में भी सहयोग का वादा किया।

नवंबर माह में बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती की माताजी रामरती का दिल्ली में हृदय गति रुकने से निधन हो गया था। जहां सभी राजनीतिक व अन्य लोगों ने इस दुखद समाचार पर बयान जारी कर अपनी संवेदना प्रकट की, वहीं प्रियंका गांधी मायावती से मिलने उनके घर पहुंचीं और उनकी माँ के निधन पर संवेदना जताई।

प्रदेश वासी यह देख रहे हैं कि आरोप-प्रत्यारोप के माहौल में प्रियंका अपने सौम्य व संवेदनशील व्यवहार से लोगों तक अपनी बात रखने मे सफल हो रही हैं। उनका यह कहना है कि यह देश किसानों द्वारा मजबूत बनाया गया है और उनके हितों को दरकिनार करके कोई भी सरकार देश का भला नहीं कर सकती। उनके “लड़की हूं, लड़ सकती हूं” के आयोजन की वजह से आज सभी दलों को महिलाएं के लिए काम करना पड़ रहा है। प्रियंका ने कहा कि महिलाएं जग गई हैं, इस देश की शक्ति के आगे सत्ता को भी झुकना पड़ा है।

प्रियंका गांधी ने आज दोपहर 2 बजे से आधे घंटे तक फेसबुक लाइव किया। इस लाइव के दौरान उन्होंने कुछ अहम सवालों के जवाब दिये। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमने ये आंदोलन यूपी में शुरू किया था। लेकिन यूपी चुनाव के बाद इसे हम पूरे देश में ले जाएंगे। महिलाओं की बराबरी का मुद्दा महत्वपूर्ण है। अब आप उन्हें दरकिनार नहीं कर सकते। बीते कुछ दिनों में बीजेपी, सपा और आम आदमी पार्टी भी महिलाओं की बात कर रही है। इसका श्रेय मुझे नहीं महिलाओं को है। महिलाओं को गैस के चूल्हे तक सीमित करना गलत होगा। उन्हें हर स्तर पर बराबरी चाहिए। मैं इस अभियान को कमजोर नहीं पड़ने नहीं दूंगी। पूरे देश मे इसे लेकर जाना पसंद करूंगी।

 

’सबसे पसंदीदा महिला राजनेता?

वर्तमान महिला नेताओं में जैसिंडा अर्डन। बहुत नेचुरल हैं। महिला के गुण दिखते हैं। स्ट्रांग हैं, बहादुर हैं। एक बार बम फटा था फिर भी प्रेम और करुणा की बात की। जनता से जुड़ी हैं। सोशल मीडिया से जुड़ी हैं। कोई दिखावा नहीं। कोई नौटंकी नहीं। नवजात बच्ची को लेकर संसद चली गयीं। उनकी नीतियां भी पसंद हैं।

अतीत में देखूं तो मैं अपनी दादी इंदिरा गांधी से बहुत प्रभावित हूं। वही मेरा इन्सपेरेशन हैं।

’घर और बाहर का संतुलन?

25 साल तक गृहणी ही रही। अभी फरवरी में 25वीं वर्षगांठ है। अब बच्चे बड़े हैं। बाहर पढ़ते हैं। अब आदत है, घर के साथ बाहर काम करने की। बच्चे अब बड़े हैं और अपनी जिम्मेदारी उठाते हैं। पति भी बहुत सपोर्टिव हैं तो बहुत मुश्किल नहीं होती।

’लड़की हूँ लड़ सकती हूँ अभियान में लड़के क्या भूमिका निभा सकते हैं?

मेरे बेटे ने भी ये गुलाबी बैंड पहना था कल, मैं इंस्टाग्राम पर लगाना चाहती थी। लड़कों को लड़कियों को बराबर समझना चाहिए। दोनों की विशेषताएं अलग है, लेकिन असल चीज है बराबरी। यह अच्छा है कि पुरुष बदल रहे हैं। वे महिला को मजबूत होते देखना चाहते हैं।

’स्त्री सशक्तिकरण का क्या अर्थ है?

राजनीतिक रूप से सशक्त बनाना है तो गैस सिलेंडर या कुछ पैसे देने से काम नहीं चलेगा। उन्हें बराबरी देनी होगी। शिक्षा और सेहत, रोजगार के लिए महिलाओं के लिए क्या कर सकते हैं, ये देखना होगा। हमारा श्शक्ति विधानश्, महिला घोषणापत्र है। इसमें महिलाओं के सशक्तिकरण की पूरी योजना हमने रखी हैं। आप सभी इस घोषणापत्र पढ़िये, बहुत दिलचस्प है। महिलाओं के लिए हम क्या करना चाहते हैं, सब लिखा है।

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