नई दिल्ली,नवसत्ता: श्रीलंका इन दिनों कठिन आर्थिक संकट से जूझ रहा है. विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने के लिए तीन विदेशी राजनयिक मिशनों को बंद करने की घोषणा कर दी है. श्रीलंका के सेंट्रल बैंक ने जरूरी आयात के वित्तपोषण के लिए आवश्यक डॉलर पर सख्त नियंत्रण लागू किया है.
दरअसल, कोरोना वायरस महामारी ने श्रीलंका को बुरी तरह से प्रभावित किया है. कोविड के आने के बाद से श्रीलंका का टूरिज्म बिजनेस बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. पिछले साल मार्च में सरकार ने विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए व्यापक आयात प्रतिबंध लगाया था.
इससे पहले श्रीलंका ने चीनी, चावल और अन्य आवश्यक खाद्य पदार्थों की जमाखोरी रोकने के लिए आपातकालीन नियम-कायदों को लागू करने का भी आदेश दिया था. वहीं श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय ने बताया है कि जर्मनी, नाइजीरिया और साइप्रस में वाणिज्य दूतावास जनवरी 2022 से बंद रहेंगे.
मंत्रालय ने बताया है कि देश के बेहद जरूरी विदेशी भंडार के संरक्षण और विदेशों में श्रीलंका के मिशनों के रखरखाव से संबंधित खर्च को कम करने के मकसद से ऐसा फैसला लिया गया है.
तीन मिशनों का समापन उस दिन हुआ है जब श्रीलंका के सेंट्रल बैंक ने स्थानीय लोगों द्वारा प्राप्त विदेशी मुद्रा प्रेषण पर प्रतिबंध लगा दिया. इसने सभी कमर्शियल बैंकों को अपनी डॉलर की कमाई का एक चौथाई 10 फीसद से ऊपर सरकार को सौंपने का आदेश दिया है. आसान भाषा में इसका मतलब है कि बैंकों के पास जरूरी सामान आयात करने वाले निजी व्यापारियों को देने के लिए कम डॉलर होंगे.
बता दें कि नवंबर 2021 के अंत तक श्रीलंका के पास सिर्फ 1.58 बिलियन डॉलर का विदेशी भंडार था, जो 2019 में राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के पदभार संभालने के समय 7.5 बिलियन डॉलर था.
रेटिंग एजेंसी फिच ने दिसंबर की शुरुआत में अपने 26 बिलियन डॉलर के विदेशी कर्ज पर एक संप्रभु डिफॉल्ट की बढ़ती आशंकाओं के कारण श्रीलंका को डाउनग्रेड कर दिया था. हालांकि सरकार ने कहा है कि वह अपने दायित्वों को पूरा कर सकती है.