नई दिल्ली,नवसत्ता: सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से गठित आयोग द्वारा पेगासस जासूसी के आरोपों की जांच पर रोक लगा दी है. दरअसल, पश्चिम बंगाल सरकार ने पूर्व जज मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में एक जांच आयोग गठित किया था. इसे आयोग को पेगासस मामले की जांच करनी थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर आयोग के काम को रोकने का आदेश दिया है.
पेगासस की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी आयोग गठित किया जा चुका है. कोर्ट ने आयोग गठित करते हुए ममता बनर्जी सरकार से राज्य द्वारा गठित आयोग की जांच को रोकने को कहा था. इस पर ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राज्य सरकार इस मामले में अपनी जांच को रोक देगा. हालांकि, कुछ दिनों बाद राज्य सरकार द्वारा गठित आयोग ने फिर से जांच शुरू कर दी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस भेजा है.
पेगासस जासूसी के आरोपों की जांच के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जांच आयोग के गठन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई कर रहा था. याचिकाकर्ता एनजीओ की ओर से पेश वकील ने कल गुरुवार को प्रधान न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया था. वकील ने पीठ से कहा कि आयोग इस तथ्य के बावजूद जांच आगे बढ़ा रहा है कि शीर्ष अदालत ने मामले में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया है कि वह जांच आगे नहीं बढ़ाएगी. एनजीओ ‘ग्लोबल विलेज फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट’ की ओर से पेश वकील ने मामले में तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया.
बता दें कि हाल ही में पेगासस पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के 11 अधिकारियों के फोन हैक करने के आरोप लगे थे, इसके बाद नवंबर में अमेरिका ने एनएसओ को ब्लैक लिस्टेड कर दिया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में ऐसे करीब 300 मोबाइल नंबर सामने आए थे, जो पेगासस स्पाईवेयर की सूची में शामिल थे. इसमें भारत के कई पत्रकार, राजनेता, मानवाधिकार कार्यकर्ता शामिल थे. संसद में भी पेगासस मामले को लेकर काफी बहस हुई थी.