नई दिल्ली,नवसत्ता: संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही राज्यसभा के 12 सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था. ऐसे में राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने विपक्ष के रवैये पर दुख जताया है. उन्होंने सांसदों के निलंबन मामले पर विपक्ष से सवाल करते हुए पूछा कि क्या अब तक हुए सांसदों के निलंबन के मामलों में सभी सरकारें अलोकतांत्रिक रही थीं.
सांसदों का यह निलंबन पहली बार नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि 1962 से 2010 तक 11 बार ऐसे मौके आए हैं, जब सदस्यों को निलंबित किया गया है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों पहल करें और आगे बढ़कर बातचीत कर मामले को हल करें.
सभापति ने कहा कि इस प्रतिष्ठित सदन के कुछ सम्मानित नेताओं और सदस्यों ने अपने विवेक से 12 सदस्यों के निलंबन को अलोकतांत्रिक बताया. मैंने यह बार बार समझने का प्रयास किया कि क्या सदन में जिस तरह का हो हल्ला हुआ क्या उसका कोई औचित्य था?
वेंकैया नायडू ने सदन के नाम एक पत्र लिखा है जिसमें साफ कहा है कि सदन की कार्यवाही को लेकर तय नियमों के मुताबिक ही ऐसा निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री ने भी कहा है कि अगर सदस्य माफी मांग लेते हैं तो सांसदों का निलंबन वापस ले लिया जाएगा. वेंकैया नायडू पर यह आरोप भी लगाया कि सांसदों की हरकतों को अलोकतांत्रिक कहने के बजाय विपक्ष उनपर की गई कार्रवाई पर ही सवाल उठा रही है.
बता दें कि निलंबित सदस्यों में कांग्रेस के छह, शिवसेना और टीएमसी के दो-दो जबकि सीपीएम और सीपीआई के एक-एक सांसद शामिल हैं. इन 12 सांसदों ने किसान आंदोलन सहित अन्य मुद्दों के बहाने सदन में जमकर हो-हंगामा किया था. वहीं, शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन खडग़े ने नियमों का हवाला देकर कहा था कि सांसदों के निलंबन का कोई आधार नहीं है, इसलिए उनके निलंबन का फैसला वापस लिया जाना चाहिए.