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बिटकॉइन को करंसी का दर्जा देने का कोई प्रस्ताव नहीं, क्रिप्टोकरंसी को लेकर सरकार ने स्पष्ट किया अपना रूख

नई दिल्ली,नवसत्ता: दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी का चलन बढ़ रहा है. ऐसे में आरबीआई द्वारा आधिकारिक डिजिटल करंसी की अनुमति दी गई है. अब लोग जानना चाहते हैं कि सरकार का आखिर बिटकॉइन, इथर या डोजकॉइन जैसी क्रिप्टोकरंसी को लेकर क्या विचार है. इस बारे में वित्त मंत्रालय ने सोमवार को एक लिखित जवाब में स्पष्ट कर दिया कि देश में बिटकॉइन को करंसी का दर्जा देने का कोई प्रस्ताव नहीं है. सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि वह बिटकॉइन के ट्रांजेक्शन के आंकड़े नहीं रखती.

संसद का शीत सत्र आज से शुरू हो गया है. ऐसे में किसानों के मुद्दे के अलावा कई और मसले हैं जिन पर चर्चा होनी है. इसी में एक अहम मुद्दा क्रिप्टोकरंसी का है. सोमवार को दो सांसद सुमालता अंबरीश और डीके सुरेश ने केंद्रीय वित्त मंत्री से क्रिप्टोकरंसी को लेकर सवाल पूछा. दोनों सांसद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से जानना चाह रहे थे कि क्या सरकार के पास बिटकॉइन के ट्रांजेक्शन से जुड़ी कोई जानकारी है या सरकार को ये बात जानकारी में है कि भारत में चुपके से बिटकॉइन का ट्रांजेक्शन कितनी तेजी से बढ़ रहा है.

क्या सरकार की ऐसी कोई योजना है जिसमें देश में बिटकॉइन को करंसी की पहचान या दर्जा देने की तैयारी है. इसी के साथ सांसदों ने केंद्रीय मंत्री से कहा कि अगर बिटकॉइन को लेकर ऐसी कोई जानकारी है तो उसे संसद के पटल पर रखा जाए. सरकार इन सवालों के जवाब लिखित में दिए जिसे संसद पटल पर रखा गया.

सरकार की योजना संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र में आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक 2021 पेश करने की है. यह बिल क्रिप्टोकरंसी के रेगुलेशन से जुड़ा है. बिल में डिजिटल करंसी से जुड़ी टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए कुछ निजी क्रिप्टोकरंसी को छोड़कर सभी पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया गया है, जबकि आरबीआई द्वारा आधिकारिक डिजिटल करंसी की अनुमति दी गई है.

रिजर्व बैंक पूर्व में क्रिप्टोकरंसी पर अपनी असहमति जाहिर कर चुका है. उसका मानना है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है. माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक ने इसे पूरी तरह प्रतिबंधित करने की इच्छा जताई थी लेकिन वित्तीय मामलों की स्टैंडिंग कमेटी इसके पक्ष में नहीं है.

समिति चाहती है कि एक बीच का रास्ता निकाला जाए ताकि लाखों निवेशकों का हित सध जाए. जिन्होंने करोड़ों रुपये बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरंसी में लगाया है. कहा जा रहा है कि सरकार बिटकॉइन को सोने-चांदी, शेयर या बॉन्ड की तरह फाइनेंशियल एसेट का दर्जा दे सकती है जिससे निवेशक ट्रेडिंग करने में सक्षम होंगे. इसकी निगरानी सेबी के पास जा सकती है.

बता दें कि बिटकॉइन एक डिजिटल करंसी है जो लोगों को सामान और सेवा दोनों की खरीदारी की सुविधा देती है. रुपये-पैसे का भी एक्सचेंज होता है जिसमें किसी बैंक के शामिल होने की जरूरत नहीं. यानी, बिटकॉइन से ट्रांजेक्शन करने या खरीदारी करने के लिए किसी बैंक में खाता होना जरूरी नहीं. इसमें किसी डेबिट, क्रेडिट कार्ड या अन्य थर्ड पार्टी की भी जरूरत नहीं होती.

बिटकॉइन को 2008 में प्रोग्रामरों के एक अज्ञात समूह ने एक वर्चुअल करंसी के साथ-साथ एक इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम के रूप में पेश किया था. यह कथित तौर पर पहली डी-सेंट्रलाइज्ड डिजिटल करंसी है जहां पीयर-टू-पीयर लेनदेन बिना किसी मध्यस्थ के होते हैं.

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