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71वें संविधान दिवस पर पीएम मोदी ने विपक्ष पर साधा निशाना,बोले- पारिवारिक पार्टियां देश के लिए चिंता का विषय

नई दिल्ली,नवसत्ता: देश के 71वें संविधान दिवस के कार्यक्रम को प्रधानमंत्री मोदी ने संबोधित किया. इस मौके पर 22 मिनट के भाषण में पीएम ने सबसे पहले नेशन फर्स्ट का जिक्र किया और कहा कि राजनीति की वजह से देशहित पीछे छूट गया है. इसके बाद परिवारवाद पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एक ही परिवार का पार्टी चलाना लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि हमारा संविधान सिर्फ अनेक धाराओं का संग्रह नहीं है, हमारा संविधान सहस्त्रों वर्ष की महान परंपरा, अखंड धारा उस धारा की आधुनिक अभिव्यक्ति है. उन्होंने कहा कि योग्यता के आधार पर एक परिवार से एक से अधिक लोग जाएं, इससे पार्टी परिवारवादी नहीं बन जाती है लेकिन एक परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी से राजनीति में है.

पीएम ने कहा कि इस संविधान दिवस को इसलिए भी मनाना चाहिए, क्योंकि हमारा जो रास्ता है, वह सही है या नहीं है, इसका मूल्यांकन करने के लिए मनाना चाहिए. पीएम ने कहा कि बाबासाहेब अंबेडकर की 125वीं जयंती थी, हम सबको लगा इससे बड़ा पवित्र अवसर क्या हो सकता है कि बाबासाहेब अंबेडकर ने जो इस देश को जो नजराना दिया है, उसको हम हमेशा एक स्मृति ग्रंथ के रूप में याद करते रहें.

मोदी ने कहा कि संविधान के निर्माण में क्या हुआ, इसके बारे में सभी को शिक्षित करने के लिए 1950 के बाद हर साल संविधान दिवस मनाया जाना चाहिए था लेकिन कुछ लोगों ने ऐसा नहीं किया. इस दिन को इस बात का मूल्यांकन करने के लिए भी मनाया जाना चाहिए कि हम जो करते हैं वह सही है या नहीं.

संसद के सेंट्रल हॉल में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज 26/11 हमारे लिए एक ऐसा दुखद दिवस है, जब देश के दुश्मनों ने देश के भीतर आकर मुंबई में आतंकवादी घटना को अंजाम दिया. देश के वीर जवानों ने आतंकवादियों से लोहा लेते हुए अपना जीवन बलिदान कर दिया. आज उन बलिदानियों को भी नमन करता हूं.

उन्होंने कहा कि संविधान की भावना को भी चोट पहुंची है, संविधान की एक-एक धारा को भी चोट पहुंची है, जब राजनीतिक दल अपने आप में अपना लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो देते हैं. जो दल स्वयं लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो चुके हों, वो लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी ने आजादी के आंदोलन में अधिकारों को लिए लड़ते हुए भी, कर्तव्यों के लिए तैयार करने की कोशिश की थी. अच्छा होता अगर देश के आजाद होने के बाद कर्तव्य पर बल दिया गया होता.

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