नई दिल्ली,नवसत्ता : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों के भारत बंद का खुलकर समर्थन किया है. राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘किसानों का अहिंसक सत्याग्रह आज भी अखंड है, लेकिन शोषण करने वाली सरकार को ये नहीं पसंद है. इसलिए आज भारत बंद है.’ कांग्रेस के अलावा विभिन्न विपक्षी दलों ने भी किसानों के भारत बंद का समर्थन किया है. वहीं, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि तीन कृषि कानूनों के वापस लिए जाने तक वह अपना आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे.
दरअसल, कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे तमाम किसान संगठनों ने एक बार फिर केंद्र के इन कानूनों के विरोध में अपनी आवाज बुलंद की है. संयुक्त किसान मोर्चा ने पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर की किसान महापंचायत में 27 सितंबर को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया था.
किसानों का अहिंसक सत्याग्रह आज भी अखंड है
लेकिन शोषण-कार सरकार को ये नहीं पसंद है
इसलिए #आज_भारत_बंद_है #IStandWithFarmers— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 27, 2021
किसान नेताओं ने सभी भारतीयों से बंद में शामिल होने की अपील की है. उन्होंने विस्तृत दिशानिर्देश दिए हैं और शांतिपूर्ण हड़ताल का आह्वान किया है. संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आहूत यह तीसरा भारत बंद है और किसान यूनियनों को उम्मीद है कि यह बंद प्रभावी साबित होगा. कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा बुलाए गए ‘भारत बंद’ के मद्देनजर दिल्ली की सीमाओं पर दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए हैं.
वहीं भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने संकेत दिए है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी जाती है तो किसान अपने इस आंदोलन को और तेज करेंगे. उन्होंने किसानों से कहा कि अपने ट्रैक्टर तैयार रखें, इनकी दिल्ली में कभी भी जरूरत पड़ सकती है. टिकैत ने कहा कि अगर किसान दस महीने से अपने घर नहीं लौटे हैं तो दस सालों तक भी आंदोलन कर सकते हैं, लेकिन इन कानूनों को लागू नहीं होने देंगे.
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बंद के मद्देनजर आज राष्ट्रीय राजधानी में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. शहर की सीमाओं परप्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों में से किसी को भी दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी. पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित देश भर के हजारों किसान पिछले दस महीने से दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे हैं और पिछले साल सितंबर में लागू कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग कर रहे हैं.